
रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और किडनी संबंधी बीमारी के चलते पिछले एक महीने से दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे।
आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं।
आज मैं शून्य हो गया हूँ…
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 4, 2025
अस्पताल में ही बेटे हेमंत सोरेन थे मौजूद
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद अपने पिता के साथ अस्पताल में थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दुख जताते हुए लिखा –
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं…”
झारखंड के ‘गुरुजी’ – आदिवासी पहचान की आवाज
- शिबू सोरेन को पूरे झारखंड में ‘गुरुजी’ के नाम से जाना जाता था।
- उन्होंने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के आंदोलन में नेतृत्व किया।
- वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
- JMM के गठन में उनकी अहम भूमिका रही और उन्होंने आदिवासी अधिकारों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया।
लंबे समय से चल रहे थे बीमार
शिबू सोरेन को जून के आखिरी हफ्ते में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
राज्यभर में शोक और श्रद्धांजलि
उनकी मौत की खबर सामने आते ही पूरे झारखंड में शोक की लहर फैल गई।
राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और आम लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
लोगों का कहना है कि गुरुजी का जाना झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत है।
झारखंड की राजनीति को दी नई दिशा
उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित कर सामाजिक चेतना का आंदोलन खड़ा किया।
खनन, भूमि अधिकार और स्वशासन जैसे मुद्दों पर उन्होंने जोरदार आवाज उठाई।
उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्ष और सेवा का प्रतीक मानी जाती है।
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