Shubhanshu Shukla Return: धरती पर लौटे शुभांशु – प्रशांत महासागर में किया स्प्लैशडाउन, भारत में उत्साह की लहर

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नयी दिल्ली:  भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गए अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथियों की 20 दिवसीय अंतरिक्ष यात्रा अब समाप्त हो चुकी है। स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने 23 घंटे की वापसी यात्रा के बाद कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन किया।

चारों यात्री 14 जुलाई को अंतरिक्ष से रवाना हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर शुभांशु की सुरक्षित वापसी को “मील का पत्थर” करार देते हुए राष्ट्र की ओर से उन्हें बधाई दी है।

आईएसएस पर कैसा रहा शुभांशु का अनुभव?
शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फैल्कन-9 रॉकेट के माध्यम से उड़ान भरी थी। 26 जून को ड्रैगन कैप्सूल ने आईएसएस से डॉकिंग की और इसके बाद शुभांशु और उनकी टीम ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया।

इन प्रयोगों में मानव स्वास्थ्य, अंतरिक्ष में कृषि, मनोवैज्ञानिक प्रभाव, और स्पेस सूट मटेरियल से जुड़ी गहन जांच शामिल थी। 18 दिनों में उन्होंने 288 बार पृथ्वी की परिक्रमा की। शुभांशु ने माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों को महसूस करते हुए बताया कि शुरुआती दो दिन काफी अजीब और चुनौतीपूर्ण रहे।

क्या पृथ्वी पर लौटना आसान होता है?
पूर्व अंतरिक्ष यात्री और मिशन डायरेक्टर डॉ. रॉबर्ट कैबाना के अनुसार, पृथ्वी पर लौटना “नियंत्रित दुर्घटना” की तरह होता है। मिशन के आखिरी 10 मिनट सबसे अधिक तकनीकी और जोखिमपूर्ण होते हैं। यद्यपि अब यह प्रक्रिया नियमित हो चुकी है, फिर भी हर वापसी नई परीक्षा बनकर आती है।

किन मुश्किलों से गुजरेंगे शुभांशु?
i. चलने और संतुलन में परेशानी
शुभांशु और उनके साथी जीरो ग्रैविटी के वातावरण में लंबे समय तक रहने के कारण मांसपेशियों की ताकत खो बैठे हैं। पृथ्वी की सतह पर चलना, संतुलन बनाए रखना उनके लिए मुश्किल होगा। उन्हें ‘बेबी फीट कंडीशन’ की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जहां उन्हें अपने ही कदम भारी और अनिश्चित लगेंगे।

ii. दिल पर असर
अंतरिक्ष में हृदय को खून पंप करने में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती, लेकिन पृथ्वी पर लौटते ही उसे गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध कार्य करना होता है। इससे ब्लड क्लॉटिंग जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

iii. आंखों और दिमाग पर प्रभाव
शरीर में मौजूद द्रव पृथ्वी पर लौटकर दिमाग के पास इकट्ठा हो सकता है, जिससे फ्लू जैसा अहसास, आंखों की पुतलियों में बदलाव और दृष्टि में दिक्कत हो सकती है। कई अंतरिक्ष यात्रियों को चश्मे की जरूरत भी पड़ती है।

अब आगे क्या?
NASA की मेडिकल टीम शुभांशु और अन्य सदस्यों की स्वास्थ्य जांच करेगी। वे कुछ दिन तक अवलोकन में रखे जाएंगे। इसके बाद ही उनकी भारत वापसी की संभावना बनेगी। ड्रैगन कैप्सूल में करीब 250 किलोग्राम वैज्ञानिक सैंपल्स भी वापस लाए गए हैं, जो भविष्य के अनुसंधान के लिए उपयोगी होंगे।

भारत में उत्साह की लहर: राष्ट्राध्यक्षों की प्रतिक्रियाएं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
“शुभांशु शुक्ला की भूमिका ने भारत के विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नई दिशा दी है. मैं उन्हें और इस मिशन से जुड़े सभी लोगों को बधाई देती हूं.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
“उन्होंने एक अरब सपनों को प्रेरित किया है. यह ‘गगनयान’ मिशन की ओर भारत का एक और बड़ा कदम है.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
“उनकी वापसी हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है. उन्होंने अंतरिक्ष को छूने के साथ-साथ भारत की महत्वाकांक्षाओं को नई ऊंचाई दी है.”

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया
“उन्होंने लाखों युवाओं को सपने देखने का साहस दिया है. उनकी यात्रा भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान का नया अध्याय है.”

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
“शुभांशु का साहस और समर्पण ‘गगनयान’ मिशन के लिए एक मजबूत नींव है.”

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री अतिशी
“देश के प्रति आपकी सेवा हर भारतीय को गौरवान्वित करती है. जय हिंद!”

 

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