
जमशेदपुर: बोड़ाम प्रखंड के दूरस्थ अंधारझोर गांव में जिलाधिकारी कर्ण सत्यार्थी ने शिल्पकारों से सीधी भेंट कर उनकी विरासत, शिल्प, चुनौतियों और संभावनाओं को समझा. उनके साथ बीडीओ और सीओ भी उपस्थित रहे. गांव के लगभग 70 परिवार पीढ़ियों से तबला, मांदर, ढोल और मृदंग जैसे वाद्ययंत्रों के निर्माण से जुड़े हैं. परंतु बाजार में उचित मूल्य न मिलने और सीमित मांग के कारण आज यह परंपरा संघर्ष के दौर से गुजर रही है.
शिल्पकार बोले: लागत अधिक, आमदनी कम
ग्रामीणों ने बताया कि वाद्ययंत्र निर्माण में समय, मेहनत और संसाधन बहुत लगते हैं, लेकिन उनकी विपणन प्रणाली और मूल्य निर्धारण संतोषजनक नहीं है.
इससे युवा पीढ़ी इस शिल्प से विमुख हो रही है और वैकल्पिक रोजगार की ओर बढ़ रही है. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन ने पूर्व में सहयोग किया है, जिससे उन्हें कुछ राहत मिली है. इस सहयोग को अब निरंतर और सशक्त बनाए जाने की जरूरत है.
उपायुक्त का आश्वासन: मिलेगा बाजार और पहचान
उपायुक्त सत्यार्थी ने शिल्पकारों को ब्रांडिंग, लोगो, ट्रेडमार्क की सुविधा देने की बात कही. उन्होंने उद्योग विभाग को दिशा-निर्देश देते हुए शिल्प उत्पादों की व्यापक पहचान और बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया. उन्होंने बीडीओ और सीओ को निर्देश दिया कि बोड़ाम-अंधारझोर मुख्य सड़क के समीप सरकारी भूमि पर कम्यूनिटी फैसिलिटी सेंटर (CFC) निर्माण का प्रस्ताव शीघ्र भेजा जाए.
CFC से क्या होगा लाभ?
कम्यूनिटी फैसिलिटी सेंटर के बनने से शिल्पकारों के उत्पादों की प्रत्यक्ष बिक्री, प्रदर्शनी, प्रचार और ग्राहक तक पहुंच की सुविधा विकसित होगी. इससे स्थानीय शिल्पकारों को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण मिलेगा.
साकची निरीक्षण में दिए निर्माण और योजना से जुड़े निर्देश
अंधारझोर दौरे के बाद उपायुक्त ने साकची स्थित विश्वकर्मा पॉइंट का निरीक्षण किया. वहां बने शिल्पकार शेड को स्थायी पक्का निर्माण कराने का निर्देश दिया गया. साथ ही प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत अंधारझोर के शिल्पकारों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने के लिए जिला उद्यमी समन्वयक को निर्देशित किया गया.
महिलाओं को भी जोड़ा जाएगा स्वरोजगार से
गांव की महिलाओं को जेएसएलपीएस और आरसेटी के माध्यम से प्रशिक्षण देकर उन्हें स्थायी स्वरोजगार से जोड़ने की योजना पर भी चर्चा की गई. इससे ग्रामीण महिलाएं भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगी.
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