
पोटका : पोटका प्रखंड के शंकरदा पंचायत स्थित अंतिम गांव स्वर्ग छिड़ा, अपने नाम के उलट विकास से कोसों दूर है. राज्य गठन के 24 वर्ष बीतने के बावजूद यहां सड़क, स्वास्थ्य, जल और सिंचाई जैसी बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं.
गांव के ग्राम प्रधान विश्वनाथ हांसदा कहते हैं कि इस गांव में आज तक न कोई विधायक पहुंचा है, न सांसद. ग्रामीणों के जीवन की कठिनाईयां हर रोज़ सरकारी दावों की पोल खोलती हैं.
सड़क नहीं, खटिया ही है एंबुलेंस
स्वर्ग छिड़ा से प्रखंड मुख्यालय तक की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है. बारिश के मौसम में हालात और भी विकट हो जाते हैं.
मरीजों को करीब 7 किलोमीटर तक खटिया में ढोकर बागो गांव लाना पड़ता है, जहाँ से ही वाहन मिल पाता है. तब जाकर पोटका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना संभव हो पाता है.
जल संकट: नल धोखा देता है, झरना सहारा बनता है
गर्मी के मौसम में गांव का जलमीनार अक्सर बंद हो जाता है. ऐसे में ग्रामीण झरने या गड्ढों के पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर होते हैं.
स्वच्छ जल की अनुपलब्धता ने स्वास्थ्य और स्वाभिमान दोनों को चोट पहुंचाई है.
जानवर भी प्यासे, तालाब का कहीं नामोनिशान नहीं
ग्राम प्रधान के अनुसार, यह संभवतः पोटका का एकमात्र गांव है जहां एक भी तालाब नहीं है. पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण वे इधर-उधर भटकते हैं.
सरकार की पशुधन नीति और जल संसाधन विकास की दिशा में यह उपेक्षा चिंताजनक है.
क्या कभी पहुंचेगी विकास की रौशनी?
इस गांव की स्थिति यह सोचने पर मजबूर करती है कि झारखंड में किसे विकास मिल रहा है और कौन अब भी वंचित है.
सवाल यह है कि कब जनप्रतिनिधियों की नजर इस गांव पर पड़ेगी और कब यहां की पथरीली राहें पक्की सड़कों में बदलेंगी?
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