
जमशेदपुर: हर वर्ष 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य युवाओं को कौशल विकास की महत्ता से जोड़ना और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाना है. भारत, जो दुनिया का सबसे युवा देश है, उसकी 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है. यह संख्या न केवल संभावनाओं का संकेत है, बल्कि यह एक चुनौती भी है – क्योंकि आज भी देश के एक बड़े हिस्से को 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के अनुकूल ज़रूरी व्यावसायिक कौशल नहीं प्राप्त हैं.
केवल संख्या नहीं, चाहिए समुचित दिशा
युवाओं की संख्या यदि मार्गदर्शन, शिक्षा और कौशल विकास से नहीं जुड़ी, तो वह संसाधन नहीं बल्कि बोझ बन सकती है. भारत तभी वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनेगा, जब उसकी युवा शक्ति कौशलयुक्त और शिक्षित होगी. सकारात्मक संकेत हैं कि पिछले एक दशक में सरकार और सामाजिक संगठनों के सहयोग से यह दिशा बदली है – जहां पहले केवल 34% युवा प्रशिक्षित थे, अब यह आँकड़ा 51.3% तक पहुँच चुका है.
तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था और बढ़ती मांगें
2047 तक विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा, जब हर क्षेत्र – चाहे वह डिजिटल तकनीक हो, हरित ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी या पर्यटन – को योग्य कार्यबल मिल सके. भारत में हर वर्ष लगभग 1.2 करोड़ युवा कार्यबल में प्रवेश करते हैं, लेकिन उनमें से बहुतों के पास वह कौशल नहीं होता जिसकी आज आवश्यकता है.
महिलाओं की भागीदारी – भविष्य की नींव
यदि भारत को सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है, तो महिलाओं की भागीदारी को अनदेखा नहीं किया जा सकता. लड़कियों को शिक्षा और कौशल से जोड़ना सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि सामाजिक प्रगति का आधार है.
एजुकेट गर्ल्स संस्था पिछले 18 वर्षों से ग्रामीण भारत में लड़कियों को स्कूल से जोड़ने, समुदायों को जागरूक करने और कौशल के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रही है. जब एक लड़की शिक्षित और दक्ष बनती है, वह न केवल परिवार की आय बढ़ाती है, बल्कि अगली पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा बनती है.
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प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और नई शिक्षा नीति की भूमिका
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 युवाओं को रोजगारोन्मुख और उद्योग-उपयोगी कौशल प्रदान करने के लिए बनाए गए ठोस प्रयास हैं.
क्यों ज़रूरी है लड़कियों को कौशल से जोड़ना?
भारत में महिला श्रम भागीदारी दर अभी भी वैश्विक औसत से कम है. इसका प्रमुख कारण है अवसर और कौशल की अनुपलब्धता. यदि लड़कियों को सिलाई, ब्यूटी पार्लर, फूड प्रोसेसिंग, डिजिटल मार्केटिंग, रिमोट वर्क और तकनीकी शिक्षा से जोड़ा जाए तो वे भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकती हैं.
समाज का सपना, एक सशक्त राष्ट्र
आज यह वक्त की पुकार है कि हर लड़की स्कूल जाए, हर युवा हुनरमंद बने. शिक्षा और कौशल भारत को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाएंगे, बल्कि वैश्विक मंच पर उसे एक जिम्मेदार नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करेंगे.
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