
सरायकेला: चांडिल जलाशय में विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति से नौका संचालन का अधिकार छीनकर निजी एजेंसी को सौंपे जाने के विरोध में गुरुवार को चांडिल बाँध परिसर में विस्थापित मुक्ति वाहिनी के बैनर तले एकदिवसीय धरना आयोजित किया गया। धरने के उपरांत आंदोलनकारियों ने अधीक्षण अभियंता को 11 सूत्री मांगपत्र सौंपा।
आंदोलनकारियों का कहना है कि नौका विहार का संचालन विस्थापितों को पुनर्वास नीति के तहत मिला था, जिसे अब एक गिरिडीह स्थित निजी एजेंसी को सौंपना पुनर्वास नीति 2012 का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह विस्थापितों के अधिकारों का अपहरण है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
श्यामल मार्डी और नारायण गोप के नेतृत्व में आयोजित धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं पारंपरिक परिधान में शामिल हुईं और सांकेतिक नृत्य के माध्यम से विरोध दर्ज कराया।
ज्ञापन में नौकायन निविदा रद्द करने, विस्थापितों को सरकारी नौकरी देने, आवासीय विद्यालय की स्थापना, पुनर्वास भूखंडों के सीमांकन व स्वामित्व अधिकार देने, लिफ्ट इरिगेशन, पालना जलाशय योजना पूर्ण करने सहित 11 मांगें शामिल हैं। विस्थापितों ने पुनर्वास प्रक्रिया को अधूरा बताया और नीति के अनुसार पुनः अधिकार लौटाने की मांग की।
आंदोलनकारियों ने 28 जुलाई 2008 की एक चिट्ठी का हवाला देते हुए बताया कि एफआरएल स्तर तक जल भराव के बिना नौकायन शुरू नहीं किया जा सकता, ऐसे में निजी एजेंसी को अनुबंध कैसे मिला?चांडिल बाँध परियोजना से प्रभावित हजारों परिवार अब भी पुनर्वास की प्रतीक्षा में हैं। ऐसे में जलाशय को केवल राजस्व के रूप में देखने की बजाय विस्थापितों की आजीविका के रूप में स्वीकार करना ज़रूरी है।
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