
सरायकेला: चांडिल प्रखंड के चिलगु पुनर्वास स्थल में सरकारी सामुदायिक भवन को तोड़कर नया स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह निर्माण कार्य बिना किसी वैध अनुमति और एनओसी के कराया जा रहा है.
यह भवन पहले जल संसाधन विभाग द्वारा लाखों रुपये की लागत से तैयार किया गया था. ग्रामीणों का कहना है कि इसे गुपचुप तरीके से गिराकर एंगल, चैनल, विम, पाइप, ईंटें और अन्य सामग्रियां कथित माफिया द्वारा हटा ली गईं.
सोमवार को पुनर्वास कार्यालय संख्या-2 के कर्मी जांच के लिए मौके पर पहुंचे. अपर निदेशक के मौखिक निर्देश पर लक्ष्मी पद महतो, जंजीर वाहक, चेनमेन और विश्वजीत सिंह ने स्थल पर जायजा लिया. निर्माण एजेंसी के संवेदक सूर्यदेव सिंह मौके पर मौजूद नहीं थे. मजदूरों से पूछताछ की गई कि कार्य कब से और कैसे चल रहा है.
यह उपस्वास्थ्य केंद्र 15वें वित्त आयोग अंतर्गत 55 लाख रुपये की लागत से बन रहा है, जिसका उद्घाटन 31 मई 2025 को विधायक सविता महतो और जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने किया था. कार्यक्रम में पंचायत प्रतिनिधियों की भी उपस्थिति रही.
चिलगु पुनर्वास स्थल सुवर्णरेखा चांडिल बांध बहुउद्देशीय परियोजना के तहत बना है. स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब झारखंड सरकार के पास चिलगु बंगल में 10 एकड़ जमीन खाली है, तो पुनर्वास स्थल में स्वास्थ्य केंद्र क्यों बनाया जा रहा है.
सूत्रों के अनुसार दलालों और पुनर्वास कार्यालय के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से बिना वैध प्रक्रिया के सामुदायिक भवन को गिराकर निर्माण शुरू कराया गया.
इधर, चांडिल डैम से विस्थापित ग्रामीण आज भी जमीन आवंटन की बाट जोह रहे हैं. वे पुनर्वास कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं, जबकि उन्हीं के नाम पर विकास योजनाएं चलाई जा रही हैं.