
आदित्यपुर: नगर विकास एवं आवास विभाग, झारखंड सरकार के सचिव सुनील कुमार ने 17 जून को एक अहम विभागीय समीक्षा बैठक में ऐतिहासिक निर्देश जारी किया है. निर्देश के अनुसार, पेयजल एवं सीवेज निर्माण कार्यों में लापरवाही बरतने वाली एजेंसियों को डीबार कर टर्मिनेट करने की कार्रवाई की जाएगी, यदि वे निर्धारित समयसीमा के भीतर कार्य पूर्ण नहीं करतीं.
इस निर्णय का जन कल्याण मोर्चा और झारखंड लीगल एडवाइजरी एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने जोरदार स्वागत किया है.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur: गुड समारिटन को मिलेगा सम्मान, सड़क पर घायल की मदद होगी आसान
255 करोड़ की योजना, आठ वर्षों बाद भी अधूरी
जानकारी के अनुसार, 23 नवम्बर 2017 को JUIDCO और शापुर जी पालोनजी कंपनी के बीच आदित्यपुर में सीवेज सिस्टम निर्माण को लेकर 255.15 करोड़ रुपये की परियोजना पर करार हुआ था, जिसे ढाई वर्षों में पूरा किया जाना था. लेकिन वर्ष 2025 के जून तक भी यह योजना अधूरी है और अभी भी कई कार्य लंबित हैं.
इसे भी पढ़ें : Jharkhand: मुख्यमंत्री की उपस्थिति में ‘TechBee’ कार्यक्रम को मिली हरी झंडी, HCL और शिक्षा विभाग के बीच हुआ समझौता
अदालत की सख्ती के बाद भी लापरवाही
यह परियोजना झारखंड उच्च न्यायालय, रांची द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका WP(PIL) 1325/2011 के संदर्भ में बनी थी. इस याचिका के अंतर्गत राज्य की नदियों और जलस्रोतों को प्रदूषण से मुक्त रखने को लेकर सरकार को निर्देश दिए गए थे. इसी के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की योजना बनी.
हालांकि, सापुर जी पालोनजी कंपनी द्वारा समय पर कार्य पूरा न कर पाना, और गुणवत्ता के मानकों का पालन न होना अब चिंता का विषय बन चुका है. याचिका की अगली सुनवाई 21 जुलाई 2025 को निर्धारित है.
इसे भी पढ़ें : Jharkhand: लगातार बारिश से उफान पर हिरनी जलप्रपात, सुरक्षा की कवायद तेज – पर्यटक रहेंगे दूर
जलापूर्ति योजना भी चार साल पीछे
केवल सीवेज ही नहीं, आदित्यपुर जलापूर्ति योजना भी चार वर्षों से विलंबित है. इससे स्थानीय जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
जन कल्याण मोर्चा के अध्यक्ष अधिवक्ता ओमप्रकाश ने कहा कि— “सरकार का यह निर्णय समय की मांग है. जो एजेंसियां जनहित की योजनाओं में समय और गुणवत्ता की अनदेखी करती हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए. जनता सरकार के साथ है और जनहित में कड़ा निर्णय जरूरी है.”
इसे भी पढ़ें : Jharkhand: झारखंड में पेसा कानून अधिसूचना की मांग तेज, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
क्या एजेंसियों की जवाबदेही तय हो पाएगी?
सरकार के इस रुख से उम्मीद की जा रही है कि राज्य की अन्य अधूरी जलापूर्ति व सीवेज योजनाओं पर भी सख्त निगरानी रखी जाएगी और जो एजेंसियां समय पर कार्य पूरा नहीं कर पाएंगी, उनके खिलाफ कार्रवाई कर उदाहरण प्रस्तुत किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur: जेल सुरक्षा को लेकर सख्त हुए उपायुक्त, अतिक्रमण और अड्डेबाजी पर चलेगा डंडा