
पोटका: पायोनियर इंग्लिश स्कूल, जो विकास एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित है, ने माताजी आश्रम हाता की प्रेरणा से अब एक अनूठी पहल की है. विद्यालय में अब बच्चों को बंगला और भूमिज भाषा की पढ़ाई शुरू कर दी गई है. मातृभाषा को प्राथमिकता देने की इस पहल को समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक साहसिक कदम माना जा रहा है.
शुरुआत बनी सरस्वती वंदना से
कार्यक्रम की शुरुआत साहित्यकार व समाजसेवी सुनील कुमार दे ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलन के साथ की. उन्होंने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया. इस अवसर पर करुणामय मंडल, सुबोध गोराई, सुभाष सरदार और मृणाल पाल जैसे सम्मानित समाजसेवी उपस्थित रहे. विद्यालय के संस्थापक विकास कुमार भकत ने सभी अतिथियों का स्वागत किया.
मातृभाषा के महत्व पर जोर
सुनील कुमार दे ने कहा कि मातृभाषा माँ के दूध के समान है जिसका कोई विकल्प नहीं होता. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें अपनी मातृभाषा का ज्ञान अवश्य होना चाहिए. करुणामय मंडल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि अंग्रेजी स्कूल में स्थानीय भाषाओं की शिक्षा शुरू करना समाज के लिए प्रेरणास्पद है.
सरकार से अपेक्षा: स्थानीय भाषाओं को मिले सम्मान
सुबोध गोराई ने कहा कि झारखंड सरकार को सभी स्थानीय भाषाओं को उचित सम्मान देना चाहिए. सुभाष सरदार ने विद्यालय की इस पहल को ‘काबिल-ए-तारीफ’ बताया. माताजी आश्रम और समाजसेवी जनमेजय सरदार की ओर से बंगला पढ़ने वाले 18 बच्चों को पुस्तक, कॉपी और कलम भेंट किए गए. भूमिज भाषा सीखने वाले 10 बच्चों को सुभाष सरदार द्वारा भूमिज भाषा की पुस्तक दी गई.
साप्ताहिक कक्षा और नि:शुल्क शिक्षा
अब हर सप्ताह एक दिन एक घंटे के लिए इच्छुक छात्र-छात्राओं को बंगला और भूमिज भाषा की निःशुल्क शिक्षा दी जाएगी. बंगला की शिक्षा शिक्षक असित मंडल देंगे जबकि भूमिज भाषा की शिक्षा स्वयं सुभाष सरदार द्वारा दी जाएगी. कार्यक्रम का संचालन विकास भकत ने किया और धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक असित मंडल ने किया. इस अवसर पर बलराम गोप, तापस कुमार गोप, सुनील कुमार गोप, सरोज सीट, चायना मंडल, सोनामोनी बास्के सहित कई छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.
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