नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार विस्फोट को आतंकी घटना करार देते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किया है। बैठक में मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रस्ताव पढ़ा और पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। सरकार ने जांच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि अपराधियों और उनके सहयोगियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाए।
हमलावर की पहचान पुलवामा निवासी उमर नबी के रूप में
दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार शाम हुए विस्फोट में जिस कार का इस्तेमाल किया गया था, उसे पुलवामा निवासी डॉ. उमर नबी चला रहा था। धमाके में उसकी भी मौत हो गई। डीएनए जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हो गई है कि कार में मिले अवशेष उमर के ही थे।
बाबरी विध्वंस बरसी पर हमला करने की थी योजना
जांच एजेंसियों के मुताबिक, उमर नबी 6 दिसंबर यानी बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन दिल्ली में 26/11 जैसे हमले की योजना बना रहा था। फरीदाबाद में पकड़े गए आठ संदिग्धों से पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टीट्यूशन क्लब और गौरी शंकर मंदिर उसके निशाने पर थे। इसके अलावा देशभर के रेलवे स्टेशन और शॉपिंग मॉल्स पर भी हमले की तैयारी थी।
फरीदाबाद के ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ से जुड़ी कड़ी
एनआईए की जांच में सामने आया कि उमर नबी का संबंध फरीदाबाद में पकड़े गए एक ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ से था। इस मॉड्यूल के सदस्य डॉ. मुजम्मिल गनई ने इस साल जनवरी में कई बार लाल किला क्षेत्र की रेकी की थी। मोबाइल डेटा और सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि हुई कि मुजम्मिल और उमर दोनों सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ के पैटर्न का अध्ययन करने वहां जाते थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला – विस्फोट से लगी गंभीर चोटें
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतकों के शरीर पर गंभीर चोटें पाई गईं, जिनमें सिर, छाती और ऊपरी हिस्सों पर गहरे घाव शामिल थे। मौत का कारण अत्यधिक रक्तस्राव बताया गया है। हालांकि, शवों पर किसी छर्रे के निशान नहीं मिले।
तुर्किये कनेक्शन की जांच जारी
जांच एजेंसियों को उमर और मुजम्मिल के पासपोर्ट से तुर्किये यात्रा के सबूत मिले हैं। यह आशंका जताई जा रही है कि दोनों वहां किसी विदेशी हैंडलर से मिले थे। फिलहाल एनआईए उनकी डिजिटल गतिविधियों और वित्तीय लेन-देन की जांच कर रही है। वहीं तुर्किये सरकार ने किसी भी आतंकी गतिविधि में अपनी संलिप्तता से इंकार किया है।
एफएसएल की टीम जुटी जांच में
फोरेंसिक टीम ने विस्फोट स्थल से 40 से अधिक नमूने एकत्र किए हैं, जिनमें दो कारतूस और दो तरह के विस्फोटकों के अवशेष शामिल हैं। एफएसएल ने इन नमूनों के विश्लेषण के लिए विशेष टीम बनाई है जो चौबीसों घंटे काम कर रही है।
विश्वविद्यालय ने किया संबंध से इंकार
संदेह के घेरे में आए अल फलाह विश्वविद्यालय ने बयान जारी कर कहा कि गिरफ्तार डॉक्टरों से उनका केवल पेशेवर संबंध था। संस्थान ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि वह राष्ट्र के साथ एकजुटता में खड़ा है।