
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिला समाहरणालय सभागार में शनिवार को उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना था. उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि सरकारी स्वास्थ्य तंत्र में जन विश्वास को बहाल करने के लिए चिकित्सा पदाधिकारियों को संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना होगा. उन्होंने जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने का निर्देश देते हुए चेतावनी दी कि किसी भी प्रकार की शिकायत पर संबंधित बीडीएम, बीपीएम, डीपीएम, बीएएम जिम्मेदार माने जाएंगे.
उपायुक्त ने कहा कि आशा कार्यकर्ता, एएनएम और स्वास्थ्यकर्मी यह सुनिश्चित करें कि अधिकांश प्रसव अस्पतालों में हों. यदि घर पर प्रसव होते हैं तो संबंधित कर्मियों की जवाबदेही तय की जाएगी. सभी लाभार्थियों को जननी सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ दिलाना अनिवार्य बताया गया.
पोटका, पटमदा और बहरागोड़ा प्रखंडों में टीकाकरण की स्थिति असंतोषजनक पाई गई. उपायुक्त ने निर्देश दिया कि घर-घर जाकर सत्यापन किया जाए और वंचित लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया जाए.
बहरागोड़ा CHC स्थित कुपोषण उपचार केंद्र (MTC) की बेड ऑक्यूपेंसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए. उपायुक्त ने प्रशिक्षित और संवेदनशील स्टाफ की तैनाती पर ज़ोर दिया. एमटीसी में ठहराव के लाभ-हानि को सचित्र रूप में प्रदर्शित करने की बात कही गई, ताकि जागरूकता बढ़े.
परिवार नियोजन के तहत नसबंदी जैसे उपायों को सीएचसी की क्षमता के अनुरूप योजनाबद्ध ढंग से लागू करने के निर्देश दिए गए. साथ ही चिकित्सीय संसाधनों को अपडेट करने और ऑब्जर्वेशन की प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने की बात कही गई.
जुगसलाई और चाकुलिया क्षेत्र में गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग को सशक्त करने का निर्देश दिया गया. साथ ही, डेंगू और मलेरिया जैसी मॉनसून जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए फॉगिंग, जागरूकता अभियान और NVBDCP के तहत गतिविधियों को कड़ाई से लागू करने का आदेश दिया गया.
ममता वाहन की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता जताई गई. उपायुक्त ने कहा कि स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर इस सेवा से जोड़ा जाए, जिससे प्रसव संबंधी सेवाएं अधिक प्रभावी और समयबद्ध हो सकें.
बैठक में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन अभियान, टीबी उन्मूलन, और एनीमिया मुक्त भारत अभियान की भी समीक्षा की गई. विशेष निर्देश दिए गए कि पटमदा और मुसाबनी जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में एनीमिया जांच अभियान को व्यापक बनाया जाए.
इस बैठक में सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल, एसीएमओ डॉ. जोगेश्वर प्रसाद, डॉ. रंजीत पांडा, डॉ. ए. मित्रा, डॉ. मृत्युंजय धावड़िया, डॉ. ओ.पी. केशरी समेत सभी एमओआईसी, डीपीएम, डीडीएम, बीपीएम, बीएएम, बीडीएम और अन्य स्वास्थ्य विभागीय पदाधिकारी मौजूद थे.
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