
पश्चिम सिंहभूम: गुवा, किरीबुरु और मेघाहातुबुरु क्षेत्र में रविवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर संडे पर्व को पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया. यह पर्व गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद आता है और प्रभु यीशु मसीह के पुनरुत्थान की स्मृति में मनाया जाता है.
कब्रों पर जलायी गई मोमबत्तियाँ, दी गई श्रद्धांजलि
सुबह होते ही समुदाय के लोग कब्रिस्तान पहुंचे और अपने पूर्वजों की कब्रों पर मोमबत्तियाँ जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान प्रभु यीशु के बलिदान और उनके प्रेम के संदेश को याद किया गया. लोगों ने एक-दूसरे को प्रभु के पुनरुत्थान की बधाइयाँ दीं.
यीशु मसीह: प्रेम, शांति और क्षमा का प्रतीक
प्रभु यीशु मसीह को प्रेम और करुणा का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक कट्टरता के विरोध में खड़े होकर उन्होंने मानवता का संदेश दिया. ईसाई मान्यताओं के अनुसार, गुड फ्राइडे को उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था, लेकिन इसके तीसरे दिन यानी रविवार को वे पुनः जीवित हो उठे. यह दिन बदलाव, क्षमा और आत्मिक नवजीवन का प्रतीक बन गया.
श्रद्धालुओं की उपस्थिति से महका ईस्टर पर्व
इस अवसर पर पादरी सुशील कुमार बागे, पंचम जार्ज सोय, मनोज बाकला, दाऊद पूर्ति, जार्ज तिर्की, मंगल दास पुरती, हरजीवन कश्यप, नोएल भिंज, अलवर्ट डंगा, जीवन भेगरा, आन्नद पुरती, विक्टर ओड़ेया, सनी सुरीन, विलधिना क्रिया, कालेप सोय, विवेक तोपनो, पीटर लकड़ा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.
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