
सरायकेला: झारखंड के जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर ईचागढ़ के गौरांगकोचा पारगाना कार्यालय में माझी पारगाना स्वशासन व्यवस्था की ओर से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। कार्यक्रम में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर एक मिनट का मौन रखा गया।
सभा में मौजूद वरिष्ठ माझी रोड़े बेसरा ने कहा, “शिबू सोरेन का जाना सिर्फ एक नेता का जाना नहीं, बल्कि आदिवासी आत्मबल का कमजोर पड़ना है। उन्होंने हमें जमीन बचाने, नशा छोड़ने और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की ताकत दी। अलग राज्य झारखंड उनके नेतृत्व की सबसे बड़ी देन रही।”
इस मौके पर झारखंड आंदोलन से जुड़े पुराने योद्धाओं को भी याद किया गया। श्यामचंद किस्कू और बुधराम टुडू जैसे आंदोलनकारियों ने अपने अनुभव साझा किए। श्यामचंद ने 1988 के पटना विधानसभा घेराव का ज़िक्र करते हुए बताया कि किस तरह उन्हें पुलिसिया दमन झेलना पड़ा।
बुधराम टुडू ने बताया कि उन्होंने आंदोलन के लिए 26 साल की उम्र से ही खुद को समर्पित कर दिया। यहां तक कि उन्होंने अब तक शादी भी नहीं की, ताकि उनका पूरा जीवन आंदोलन को समर्पित रहे।
सभा में पारगाना बाबा शिलु सारना टुडू, श्यामचंद किस्कू, बुद्धेश्वर किस्कू, मधु हेमब्रम, खकन हांसदा, अभिराम मुर्मू, भोला मार्डी, भीम टुडू, विश्वनाथ मुर्मू, गोलक टुडू और सोनू बेसरा समेत कई लोग मौजूद रहे। सभी ने मिलकर संकल्प लिया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के अधूरे सपनों को ज़मीन पर उतारना ही अब उनका अगला कर्तव्य होगा।