Jharkhand: झारखंड के इस गांव में तीन दांतों वाली बच्ची की “कुत्ते” से हुई शादी, आदिवासी समाज ने निभाई पुरानी परंपरा

Spread the love

पश्चिम सिंहभूम: गुवा थाना क्षेत्र के नुईया गांव में एक अनोखी और हैरान कर देने वाली शादी चर्चा का विषय बन गई है. यहां एक नवजात बच्ची का विवाह कुत्ते से कराया गया, जो आदिवासी रीति-रिवाज का हिस्सा है. बच्ची का जन्म तीन दांतों के साथ हुआ था, जिसे स्थानीय आदिवासी समाज एक विशेष संकेत मानता है और इसके अनुसार उस बच्ची का विवाह कुत्ते या कुतिया से कराना अनिवार्य होता है.

तीन दांतों वाली बच्ची की शादी

गांव के मारकस कुंटिया की नवजात बच्ची का नाम ‘तुलसी कुंटिया’ रखा गया. स्थानीय परंपरा के अनुसार, ऐसे बच्चों को दोषयुक्त माना जाता है और यदि उनका विवाह कुत्ते से नहीं कराया जाता है, तो भविष्य में उनके विकास में अड़चनें आ सकती हैं और परिवार में अशांति तथा बीमारियां फैल सकती हैं. इसी परंपरा के तहत, कुत्ते का नाम ‘जकड़ा चाम्पिया’ रखा गया और उसे ‘परिला चाम्पिया’ परिवार ने गोद लिया.

विवाह की रस्में और समाज की मान्यता

गांव के मुखिया दुरसू चाम्पिया ने इस परंपरा का पालन करने के कारण बताया कि यह विवाह पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया. यह विवाह एक सामान्य विवाह जितना ही महत्वपूर्ण होता है. विवाह की सभी रस्में पूरी हुईं, और बारात लेकर कुत्ते ‘जकड़ा’ को तुलसी कुंटिया के घर लाया गया. इस दौरान गांव के पुरुषों और महिलाओं ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए और ढोल-नगाड़ों की थाप पर गांव का माहौल पूरी तरह शादी के रंगों में रंगा रहा.

सांस्कृतिक मूल्यों और विश्वासों का प्रतीक

यह अनोखी शादी न केवल नुईया गांव की परंपराओं को दर्शाती है, बल्कि यह यह भी बताती है कि आदिवासी समाज अपनी मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों को गहरे विश्वास के साथ निभाता है. गांव के बुजुर्गों के अनुसार, यदि इस परंपरा का पालन नहीं किया जाता, तो न केवल बच्चे का विकास प्रभावित होता है, बल्कि परिवार में दरिद्रता और संकट भी आ सकता है.इस विशेष विवाह में कई प्रमुख लोग शामिल हुए, जिनमें मारकस कुंटिया, मेसली कुंटिया, लोदरी चाम्पिया, और कई अन्य ग्रामीण उपस्थित थे.

समाज में परंपरा और आधुनिकता का संगम

यह अनोखी शादी परंपरा न केवल एक संस्कृति की पहचान है, बल्कि यह दर्शाती है कि आज के युग में भी कुछ परंपराएं पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती हैं. चाहे आधुनिकता का प्रभाव हो या डिजिटल युग की दस्तक, आदिवासी समुदाय आज भी अपनी परंपराओं को जीवित रखे हुए है और इन्हें अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानता है.

इसे भी पढ़ें : Jamshedpur: बिष्टुपुर में 24 घंटे का अखंड रामायण कीर्तन, श्रद्धालुओं की जुटी भीड़


Spread the love

Related Posts

Deoghar : इलाजरत शिक्षा मंत्री को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने को दिल्ली रवाना हुए स्वास्थ्य मंत्री

Spread the love

Spread the loveदेवघर : झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शनिवार को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी देवघर एयरपोर्ट…


Spread the love

Deoghar : 5 को झारखंड विधानसभा का घेराव करेंगे राज्य भर के पंचायत प्रतिनिधि, देवघर से भी जाएंगे सैकड़ों पंचायत प्रतिनिधि

Spread the love

Spread the loveदेवघर : सर्किट हाउस के सभागार में शनिवार को त्रि-स्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों की बैठक जिप अध्यक्ष किरण कुमारी की अध्यक्षता में हुई। इसमें पांच अगस्त को रांची में…


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *