सरायकेला: जिला अधिवक्ता संघ, सरायकेला के सभागार में बुधवार को अधिवक्ता दिवस उत्साह और सम्मान के साथ मनाया गया। समारोह की शुरुआत भारत के प्रथम राष्ट्रपति देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई। उनके जन्मदिन पर आयोजित इस कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने उनके जीवन, आदर्शों और न्यायिक योगदान को याद किया।
अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रभात कुमार ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन संघर्ष, अनुशासन और ईमानदारी का उदाहरण है। उन्होंने कहा— “गरीब परिवार से निकलकर उन्होंने न सिर्फ ऊँचाइयाँ हासिल कीं, बल्कि बड़े वकील बनकर आम जनता को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमें उनके आदर्शों से सीख लेनी चाहिए।”
उपाध्यक्ष केदारनाथ अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक अधिवक्ता को अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिए। “राजेंद्र बाबू का जीवन हमें अनुशासन, सत्य और सेवा का संदेश देता है। उनके बताए रास्ते हमारे पेशे की सच्ची पहचान हैं।”
सह सचिव जलेश कवि ने कहा कि अधिवक्ता सिर्फ कानूनी विशेषज्ञ नहीं, बल्कि समाज और न्याय व्यवस्था के रक्षक होते हैं। उन्होंने कहा— “वकील न्याय प्रशासन का अभिन्न अंग है। आज जरूरत है कि हम सभी अधिवक्ता अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ निभाएँ। कुछ नकारात्मक घटनाओं के कारण वकालत की छवि पर असर पड़ा है, जिसे सुधारना हम सबका दायित्व है।”
वरिष्ठ अधिवक्ता जीवनंद पांडा ने कहा कि राजेंद्र बाबू ने संविधान निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में अहम भूमिका निभाई। “वे न सिर्फ एक महान वकील थे, बल्कि एक श्रेष्ठ मानव भी थे, इसलिए उनका सम्मान आज भी जीवित है।”
अधिवक्ता ओम प्रकाश ने कहा कि अधिवक्ता दिवस, राजेंद्र बाबू की प्रेरणा को याद करने का दिन है। उन्होंने यह भी बताया कि महात्मा गांधी ने भी अपने जीवन की शुरुआत वकालत से की थी, जो इस पेशे की गरिमा को दर्शाता है।
कार्यक्रम में अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रभात कुमार, उपाध्यक्ष केदारनाथ अग्रवाल, सहसचिव जलेश कवि, कार्यकारिणी सदस्य प्रदीप तेंदू रथ, सरोज महाराणा, सुखमति हेस्सा, लोकनाथ केसरी, रजत पटनायक, वरिष्ठ अधिवक्ता एच.सी. हजरा, असित सारंगी, शंकर सिंह देव, ओम प्रकाश, राजेंद्र महतो, अनिल कुमार सिंह, सुनील सिंह देव, मनन तिवारी, राजेश बिहारी सहाय, प्रणव सिंह देव सहित सभी अधिवक्ता उपस्थित रहे।