सरायकेला: अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस के अवसर पर जिला कृषि विभाग मिट्टी की सेहत को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने की तैयारी कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि “मिट्टी अनमोल है—इसे न तो पैसों में तोला जा सकता है और न ही बर्बाद किया जाना चाहिए।”
मिट्टी स्वस्थ होगी तो फसलें बेहतर होंगी, किसान खुशहाल होंगे और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
जिले की मिट्टी अम्लीय, मगर खेती योग्य
जिले में चल रहे मृदा जांच के अनुसार सरायकेला-खरसावां की मिट्टी ज्यादातर अम्लीय (Acidic) पाई गई है।
हालांकि, मृदा परीक्षण केंद्र के जांचकर्ता करमु महतो के अनुसार “यहां की मिट्टी में सभी प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं। बस संतुलित उर्वरक और लाइम का उपयोग कर मिट्टी को संतुलित बनाए रखने की जरूरत है।”
कैसे होता है मृदा परीक्षण?
जिले में सॉइल हेल्थ सेंटर के माध्यम से बीटीएम और किसान मित्रों द्वारा खेतों से नमूने एकत्र किए जाते हैं।
प्रक्रिया इस प्रकार है:
- खेत से मिट्टी का नमूना संग्रह
- केंद्र में नमूने का पंजीकरण और कुटाई
- रासायनिक प्रक्रिया द्वारा मिट्टी की जांच
- रिपोर्ट में अम्लीयता, पोषक तत्व, क्षमता और सुधार के सुझाव
लैब असिस्टेंट करमु महतो, आनंद कुमार डांगी, श्रीपति महतो एवं कंप्यूटर ऑपरेटर की टीम इस पूरे परीक्षण कार्य में सक्रिय है।
कब शुरू हुआ था परीक्षण?
- पहला चरण: दिसंबर 2016 – 2017
- दूसरा चरण: जून 2022 से लगातार जारी
अब तक जिले के हजारों किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
क्यों खास है मृदा दिवस?
मिट्टी न केवल खेती बल्कि जीवनचक्र की बुनियाद है।
धार्मिक मान्यताओं में भी पूजा से पहले मिट्टी का महत्व स्वीकार किया गया है। स्वस्थ मिट्टी का अर्थ है—स्वस्थ समाज और सुरक्षित भविष्य।