
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की पृथ्वी पर वापसी की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. नासा और एक्सियम स्पेस के साझा मिशन Axiom-4 के तहत 18 दिनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रह चुके शुक्ला अब 15 जुलाई को धरती पर लौटने वाले हैं.
कब और कैसे होगी वापसी?
नासा द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, Axiom-4 मिशन के सभी अंतरिक्ष यात्री 14 जुलाई की शाम लगभग 4:30 बजे ISS से “क्रू ड्रैगन” अंतरिक्ष यान के ज़रिए अनडॉक करेंगे. इसके बाद लगभग 22.5 घंटे की यात्रा पूरी करने के बाद 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे के आसपास वे कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन करेंगे.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी इस मिशन की पुष्टि करते हुए बताया कि यदि मौसम अनुकूल रहा तो शुभांशु शुक्ला की धरती पर सुरक्षित वापसी निर्धारित समय पर हो जाएगी.
वापसी की तकनीकी प्रक्रिया कैसी होगी?
1. अनडॉकिंग की प्रक्रिया:
क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से धीरे-धीरे अलग होगा. यह प्रक्रिया स्वचालित होती है, हालांकि मिशन क्रू सतर्क निगरानी बनाए रखता है.
2. रिट्रोग्रेड बर्न:
स्पेसक्राफ्ट के पृथ्वी की ओर बढ़ते ही उसमें लगे रॉकेट फायर किए जाएंगे ताकि उसकी गति धीमी की जा सके. यह प्रक्रिया रिट्रोग्रेड बर्न कहलाती है, जो स्पेस यान को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश कराने में मदद करती है.
3. वायुमंडल में प्रवेश:
जैसे ही स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, घर्षण के कारण अत्यधिक गर्मी पैदा होगी. इस समय स्पेस यान की गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो धीरे-धीरे घटती जाती है.
4. पैराशूट सिस्टम:
वायुमंडल में प्रवेश के बाद यान से पहले छोटे और फिर मुख्य पैराशूट खुलेंगे. यह यान की गति को नियंत्रित कर सुरक्षित लैंडिंग में मदद करेंगे.
5. समुद्र में स्प्लैशडाउन:
क्रू ड्रैगन यान सामान्यतः अटलांटिक महासागर या मैक्सिको की खाड़ी में लैंड करता है. इस बार यदि मौसम अनुकूल रहा तो यह कैलिफोर्निया के पास समुद्र में उतरेगा. NASA इस लैंडिंग को लाइव प्रसारित करेगा.
वापसी के साथ क्या लाएंगे शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री ड्रैगन यान में लगभग 263 किलो वैज्ञानिक सामग्री लेकर लौटेंगे. इसमें NASA का हार्डवेयर और 60 से अधिक अंतरिक्ष प्रयोगों के डेटा शामिल हैं, जिनका विश्लेषण पृथ्वी पर किया जाएगा.
कितनी देर लगेगी इस वापसी में?
ISS से अनडॉकिंग से लेकर समुद्र में स्प्लैशडाउन तक की प्रक्रिया में लगभग 12 से 16 घंटे लगते हैं. वायुमंडल में प्रवेश के समय स्पेसक्राफ्ट की गति जहां 28,000 किमी/घंटा होगी, वहीं स्प्लैशडाउन के समय यह घटकर करीब 24 किमी/घंटा रह जाएगी.
क्यों है यह मिशन भारत के लिए खास?
यह मिशन भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और वैश्विक साझेदारियों का प्रतीक है. शुभांशु शुक्ला की सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी. भारत की ओर से निजी क्षेत्र में अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
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