
नई दिल्ली: लोकसभा ने बुधवार देर रात वक्फ संशोधन विधेयक बहुमत से पारित कर दिया. विधेयक के पक्ष में 288 और विरोध में 232 मत पड़े. सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए सभी संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया. विपक्षी सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन के संशोधन प्रस्ताव पर रात सवा बजे मतदान हुआ, जो 231 के मुकाबले 288 मतों से अस्वीकृत हो गया. यह प्रस्ताव वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल न करने से संबंधित था. लोकसभा में इस विधेयक पर 12 घंटे से अधिक चर्चा हुई. अब इसे आज, गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा.
धर्म में हस्तक्षेप नहीं, संपत्ति प्रबंधन पर जोर
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार दोपहर विधेयक पेश किया और चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य किसी धर्म में हस्तक्षेप करना नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों का सुचारू प्रबंधन सुनिश्चित करना है. उन्होंने पुराने कानून की विवादित धारा 40 का जिक्र करते हुए बताया कि इसके तहत वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता था, जिसे केवल न्यायाधिकरण ही रद्द या संशोधित कर सकता था. इस कठोर प्रावधान को अब हटा दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय की किसी भी संपत्ति पर अतिक्रमण नहीं किया जाएगा, लेकिन विपक्ष इस विषय पर जनता को गुमराह कर रहा है.
विपक्ष पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप
गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने वक्फ बोर्ड को सरकारी संपत्तियों पर कब्जे की अनुमति देकर अन्याय किया. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मुगलकालीन व्यवस्थाओं को स्थान नहीं दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकासवादी राजनीति के चलते जनता ने सरकार को लगातार तीन बार जनादेश दिया और आगे भी समर्थन जारी रहेगा.
2013 के संशोधन से अराजकता फैली
शाह ने 2013 में यूपीए सरकार द्वारा किए गए संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने व्यापक अराजकता उत्पन्न की. उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुराने बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं इस कानून को अन्यायी बताया था और कड़े प्रावधानों की मांग की थी. अब सरकार उसी दिशा में सुधार कर रही है.
विपक्ष के दावे असत्य, वक्फ में गैर-मुस्लिमों की भूमिका नहीं
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रिजिजू ने विपक्ष द्वारा इस विधेयक को असंवैधानिक बताए जाने के दावे को खारिज किया. उन्होंने तर्क दिया कि जब 1954 से वक्फ कानून अस्तित्व में है, तो उसमें संशोधन असंवैधानिक कैसे हो सकता है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय पूरी तरह सुरक्षित है. शाह ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. मुतवल्ली मुस्लिम समुदाय से होगा, वक्फ की संपत्तियां उन्हीं के नियंत्रण में रहेंगी और किसी गैर-मुस्लिम को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा.
वक्फ बोर्ड धार्मिक गतिविधियां नहीं चलाता
सरकार ने विपक्ष द्वारा लगाए गए इस आरोप को खारिज किया कि विधेयक से मुस्लिम संपत्तियों पर सरकारी कब्जा हो जाएगा. शाह ने कहा कि वक्फ बोर्ड स्वयं धार्मिक गतिविधियों का संचालन नहीं करता. सरकार का उद्देश्य केवल प्रशासनिक सुधार सुनिश्चित करना है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विधेयक पूर्व तिथि से लागू नहीं होगा. यह केवल अधिसूचना जारी होने के बाद प्रभावी होगा.
संपत्ति विवाद निपटाने का अधिकार कलेक्टर को
सरकार ने इस विधेयक में संपत्ति विवादों के निपटारे का अधिकार कलेक्टर को देने की बात कही है. उन्होंने सवाल किया कि जब अन्य संपत्तियों पर यह नियम लागू होता है, तो वक्फ संपत्तियों को इससे छूट क्यों दी जाए? उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ का मूल उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना है, और यह विधेयक उसी दिशा में उठाया गया कदम है.
विपक्ष का दुष्प्रचार, देश में शांति बनी रही
सरकार ने विपक्ष की उस सोच को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि राम मंदिर निर्माण, सीएए और अनुच्छेद 370 हटाने से अराजकता फैलेगी. शाह ने कहा कि इन मुद्दों पर पहले दावा किया गया था कि देश में खून की नदियां बह जाएंगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. देश का कानून सभी नागरिकों के लिए समान है और सभी को इसका पालन करना होगा.
ओवैसी का विरोध, विधेयक की प्रति फाड़ी
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और संसद में इसकी प्रति फाड़ दी. उन्होंने सरकार पर देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने इसे उनके अधिकारों पर हमला बताया और महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए इस विधेयक को अनुचित करार दिया.
मुकदमेबाजी बढ़ने का दावा
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने आशंका जताई कि इससे मुकदमेबाजी बढ़ेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ काउंसिल में चुनाव की प्रक्रिया को समाप्त कर मनोनयन प्रणाली लागू करना चाहती है.
वक्फ का अधिकार अल्लाह के पास
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि वक्फ एक धार्मिक और समाजसेवा से जुड़ा संस्थान है. उन्होंने तर्क दिया कि वक्फ का हर अधिकार अल्लाह के पास है और इसका उपयोग समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए.
इसे भी पढ़ें :