
पश्चिम सिंहभूम: गुवा खदान में सप्लाई एवं ठेका मजदूरों का लंबे समय से दबा आक्रोश बुधवार को फूट पड़ा। झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के बैनर तले और केन्द्रीय अध्यक्ष रामा पांडेय के नेतृत्व में मजदूरों ने गुवा अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलन की मुख्य वजह गंभीर रूप से बीमार ठेका मजदूर संजू गोच्छाईत को बेहतर इलाज के लिए सीएमसी वेल्लौर रेफर न करना था।
बेहतर इलाज से वंचित रहे संजू गोच्छाईत
संजू गोच्छाईत की स्थिति नाजुक बनी हुई है, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने ठेका मजदूरों को मुफ्त इलाज की सुविधा न देने का हवाला देते हुए उनका वेल्लौर रेफर करने से इनकार किया। इस फैसले से मजदूरों में गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया। रामा पांडेय ने अस्पताल प्रबंधन और सेल अधिकारियों पर ठेका और सप्लाई मजदूरों के प्रति भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि ये मजदूर गुवा खदान के उत्पादन की रीढ़ हैं, फिर भी उनकी सुरक्षा और इलाज के मामले में प्रशासन का रवैया मजदूर विरोधी है।
आंदोलन का रूप लेता गया तनावपूर्ण माहौल
बुधवार सुबह 10 बजे से गुवा अस्पताल परिसर में माहौल गरमाता गया। सैकड़ों मजदूरों ने नारेबाजी शुरू कर दी। जब मजदूर प्रतिनिधि मंडल रामा पांडेय के नेतृत्व में अस्पताल के सीएमओ डॉ. अशोक कुमार अमन से मिलने गया, तो सीआईएसएफ जवानों ने उन्हें प्रवेश करने से रोका। इससे गुस्साए मजदूरों और सुरक्षा जवानों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। बाद में वार्ता के लिए कुछ नेताओं को अंदर बुलाया गया, जिसमें खदान के महाप्रबंधक प्रवीण सिंह भी मौजूद थे।
शाम तक मिले समाधान का भरोसा या फिर आंदोलन?
वार्ता के बाद रामा पांडेय ने कहा कि प्रबंधन ने संजू को वेल्लौर रेफर करने के लिए शाम तक का समय मांगा है। लेकिन अगर आज शाम तक यह निर्णय नहीं लिया गया, तो वे तृतीय पाली शुरू होने से पहले खदान गेट बंद कर देंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि खदान का उत्पादन ठप हो जाएगा, सप्लाई बसें नहीं चलेंगी, और इस स्थिति के लिए पूरी जिम्मेदारी सेल प्रबंधन की होगी।
ठेका मजदूर नीति पर उठे गंभीर सवाल
इस घटना ने सेल प्रबंधन की ठेका मजदूर नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी स्तर पर समानता की बात होती है, लेकिन असलियत में ठेका मजदूर ही दूसरे दर्जे के कर्मचारी साबित हो रहे हैं — न उन्हें उचित इलाज मिलता है, न सुरक्षा और न स्थिरता। पर उत्पादन में ये सबसे आगे रहते हैं। रामा पांडेय ने स्पष्ट कहा कि यह केवल संजू का मामला नहीं, बल्कि पूरे गुवा के मजदूरों की सम्मान की लड़ाई है।
भविष्य की लड़ाई की तैयारी
फिलहाल गुवा में शांति है, लेकिन तनाव बना हुआ है। शाम तक तय होगा कि प्रशासन मजदूरों की मांग मानेगा या फिर नए संघर्ष की चिंगारी भड़केगी। मजदूर नेता रामा पांडेय ने कड़ा संदेश दिया है कि चुप्पी साधे रहने का विकल्प अब नहीं बचा है, अन्यथा अगला संजू किसी अस्पताल के बाहर दम तोड़ सकता है।
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