
पश्चिम सिंहभूम: सेल की गुवा खदान स्थित न्यू कॉलोनी में गुरुवार को तारफेल्टिंग के दौरान दो मज़दूर अचानक छत से गिर गए. घटना में दोनों मज़दूरों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
छत एस्बेस्टस की पुरानी और जर्जर थी, जो तारफेल्टिंग कार्य के दौरान टूट गई. दोनों मज़दूर लगभग 15 फीट की ऊंचाई से सीधे फर्श पर गिरे.
सुरक्षा उपकरणों के बिना कराया जा रहा था जोखिम भरा कार्य
बताया जा रहा है कि न्यू कॉलोनी के आवासों में वर्षा जल टपकाव की समस्या के समाधान के लिए सेल प्रबंधन ने सोना कंस्ट्रक्शन नामक ठेका एजेंसी को तारफेल्टिंग का कार्य सौंपा था.
हादसे के वक्त अजीत प्रधान (50 वर्ष, गम्हरिया निवासी) और आचाम सुरेन (40 वर्ष, जमशेदपुर निवासी) बंद मकान की छत पर कार्यरत थे. अचानक छत टूट गई और दोनों मज़दूर नीचे जा गिरे.
आसपास के लोगों ने बचाई जान, अस्पताल में जारी है इलाज
घटना के समय मकान में कोई मौजूद नहीं था. गिरने के बाद मज़दूरों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग दौड़े और घर का ताला तोड़कर उन्हें बाहर निकाला.
दोनों घायलों को गुवा सेल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. एक की कमर में गंभीर चोट है, तो दूसरे के सिर में गहरी चोट आई है.
मजदूर नेता ने ठेकेदार और प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप
घटना की जानकारी मिलने पर मजदूर नेता रामा पांडेय अस्पताल पहुंचे. उन्होंने इसे “मात्र हादसा नहीं, बल्कि ठेकेदार और प्रबंधन की आपराधिक लापरवाही” करार दिया.
उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर न तो कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध था, न ही कोई सुपरवाइज़र या अधिकारी मौजूद था. हर साल खान सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई इसके विपरीत है.
ठेकेदार की स्वीकारोक्ति ने खोली पोल
ठेका कंपनी के प्रतिनिधि मोहम्मद इस्लाम उर्फ लादेन ने स्वयं स्वीकार किया कि मजदूरों को कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिया गया था. यह स्वीकारोक्ति दर्शाती है कि हादसा लापरवाही का प्रत्यक्ष परिणाम है.
रामा पांडेय ने मांग की कि घायल मजदूरों का संपूर्ण इलाज सेल या ठेका एजेंसी कराए और जब तक वे स्वस्थ नहीं हो जाते, उनका वेतन भी जारी रखा जाए.
क्या मज़दूरों की जान की कोई कीमत नहीं?
यह घटना केवल दो व्यक्तियों की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों मज़दूरों की व्यथा है जो प्रतिदिन जान जोखिम में डालकर कार्यस्थल पहुंचते हैं.
सरकारी और निजी कंपनियाँ काम तो ठेकेदारों से करवाती हैं, लेकिन सुरक्षा की कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेतीं. हादसे के बाद कुछ बयान देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है.
प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल
हैरानी की बात यह है कि अब तक न तो स्थानीय प्रशासन ने कोई संज्ञान लिया है, और न ही श्रम विभाग की ओर से कोई कार्रवाई हुई है.
क्या मज़दूरों की जान के बदले केवल चुप्पी ही मिलती है?
उच्चस्तरीय जांच की उठी मांग
घटना के बाद न्यू कॉलोनी और आसपास के क्षेत्रों में आक्रोश देखा गया. स्थानीय लोगों और मजदूर संगठनों ने मांग की है कि उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो.
साथ ही, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से अपील की गई है कि वे इस गंभीर मुद्दे को जिला और राज्य स्तर पर उठाएं.
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