Seraikela/Patamada :  बोटा पंचायत के 16 परिवारों को वन्य विभाग ने थमाया अतिक्रमण का नोटिस, हटाने की कवायद तेज

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सभी परिवारों को मिला है वन्य पट्टा, सरकार ने प्रदान की है मूलभूत सुविधाएं 
सरायकेला/ पटमदा :  पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखण्ड अंतर्गत बोटा पंचायत के बांदरजलकोचा टोला में कुल 16 परिवार के 46 लोग वर्षों से रहते आ रहे हैं। इन सभी को सरकार द्वारा वर्ष 2021 से 2024 तक बनपट्टा निर्गत किया गया है। इसके बावजूद वन विभाग द्वारा नोटिस देकर बार बार मकान तोड़ने के लिए डराया जा रहा है, यहां के सभी परिवारों को झारखंड सरकार द्वारा पीएम आवास और बिरसा आवास के अलावा बिजली पानी के साथ साथ राशन कार्ड, आधार कार्ड, लेबर कार्ड एवं जॉब कार्ड दिया गया है। इसके बावजूद वन्य विभाग के द्वारा आदिम जनजाति परिवारों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
विलुप्त जातियों के लिए करोड़ों रूपए हो रहे खर्च
एक तरफ सरकार आदिम जनजातियों पहाड़िया, खड़िया, बिरहोड़ परिवार के लोग विलुप्त को देखते हुए अस्तित्व को बचाने के लिए केंद्र सरकार ओर राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपया खर्च करती है। वहीं दूसरी ओर  वन विभाग द्वारा इनका अस्तित्व मिटाने पर तुला है।  इन परिवारों का जीवन जंगल पर निर्भर है। कभी ईको सेंसिटिव जॉन के नाम पर तो कभी ईको टूरिज्म के नाम पर डरा रहा है। दूसरी ओर एन एच 33 राष्ट्रीय राज मार्ग रामगढ़ से फंदलोगोड़ा तक दालमा सेंचुरी तराई विभिन्न जगह पर प्लांट लगाया गया । पहले यह क्षेत्र हाथी के झुंड का विचरण जगह था। लेकिन क्षेत्र में प्लांट लगने से हाथी का विचरण प्रभावित हो रहा है तथा उनकी संख्या  सिमटते जा रही है।
राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों से आगे आने की अपील
समाजसेवी डॉ. सत्य नारायण मुर्मू ने कहा  कि वन विभाग संविधान को नहीं मानता है वहीं जुगसलाई विधानसभा के विधायक मंगल कालिंदी द्वारा विधानसभा में यहां के विलुप्त आदिम जनजाति परिवार के लिए मूलभूत सुविधा के बारे में विधानसभा में सवाल उठाया। इसके बाद भी वन विभाग नोटिस दे रहा है। जबकि विधायक के आदेश पर ही पीड़ित परिवारों को ब्लॉक प्रशासन द्वारा  पीएम आवास, बिरसा आवास, बिजली पानी आदि की सुविधा प्रदान की गई है। एक तरह सरकार इन जनजातियों को बचाने का काम कर रही है तो, दूसरी ओर वन विभाग इन्हीं जातियों के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास कर रही है। समाजसेवी डॉ. सत्य नारायण मुर्मू ने सरकार के साथ साथ सभी राजनीतिक पार्टियों और सभी सामाजिक संगठनों सेइस ज्वलंत मामले में आगे आने की अपील की।

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