चाईबासा: झारखंड पुलिस, कोबरा, CRPF, झारखंड जगुआर और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगातार कार्रवाई और झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का बड़ा असर दिख रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले के कोल्हान और सारंडा क्षेत्र में सक्रिय 10 माओवादी सदस्यों ने पुलिस और CRPF अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
3 साल में 26 नक्सली मुख्यधारा से जुड़े
झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर पिछले 3 सालों में सिर्फ पश्चिमी सिंहभूम जिले में ही 26 नक्सली संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। इस दौरान पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने 9631 अभियान चलाए, जिनमें 175 नक्सलियों की गिरफ्तारी और 10 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।
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भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद
अभियानों में लगातार नक्सलियों से भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और कारतूस बरामद किए गए हैं। सुरक्षा बलों ने उग्रवाद प्रभावित इलाकों में नए कैंप भी स्थापित किए हैं, जिससे नक्सलियों का दायरा सिमटता जा रहा है और ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की पहचान
आत्मसमर्पण करने वालों में रांदो बोइपाई उर्फ कांति, गार्टी कोड़ा, जॉन उर्फ जोहन पुरती, निरसो सीदू उर्फ आशा उर्फ निराशा, घोनोर देवगम, गोमेया कोड़ा उर्फ टारजन, कैरा कोड़ा, कैरी कायम उर्फ गुलांची, सावित्री गोप उर्फ मुतुरी उर्फ फुटबॉल और प्रदीप सिंह मुण्डा शामिल हैं। इन पर हत्या, हत्या के प्रयास, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, आर्म्स एक्ट और यूएपीए जैसे गंभीर मामलों में मुकदमे दर्ज थे।
पुलिस का संदेश
झारखंड पुलिस ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा। साथ ही अन्य नक्सली भी इस नीति का फायदा उठाकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। अधिकारियों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण माओवादी संगठन पर बड़ा प्रहार है और इससे इलाके में शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी।
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