
जमशेदपुर: गुवा के समीप बोकना मंदिर परिसर में श्री-श्री आचार्य देव का 58वां जन्मोत्सव पूरे श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. कार्यक्रम का आयोजन बड़ाजामदा सत्संग विहार के सत्संगियों के नेतृत्व में किया गया. करीब 224 श्रद्धालुओं की उपस्थिति में यह आयोजन एक विराट आध्यात्मिक संगम में परिवर्तित हो गया.
नोवामुंडी, जोड़ा, भद्रासाई, बड़बील, बामेबारी, मनोहरपुर, चिड़िया, सोनुआ, झींकपानी और आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटे.
उद्घाटन प्रातःकालीन संवेदक प्रार्थना से हुआ, जिसमें भक्तों ने सामूहिक रूप से ईश्वर से मार्गदर्शन की कामना की. इसके बाद प्रवचनों और गीतों के माध्यम से अध्यात्म की ऊर्जा फैलती रही.
मुख्य वक्ता ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर ने श्री-श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र के विचारों को श्रद्धालुओं के समक्ष रखा. उन्होंने कहा कि सेवा, सहयोग और जनकल्याण की भावना के साथ यदि जीवन जिया जाए, तो मानव समाज में दिव्यता स्वतः प्रकट होती है. उन्होंने सभी को ठाकुर द्वारा बताए गए प्रेम, यजन और नीति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी.
गुवा के पूर्व मुखिया कपिलेश्वर दोंगों ने कहा कि व्यक्ति यदि ईश्वर के आदेश का पालन करे और समाज के कल्याण के लिए कार्य करे, तो वह न केवल ईश्वर से जुड़ा होता है, बल्कि अपने जीवन को भी सार्थक करता है.
नोवामुंडी से आए सुबोध बड़ाईक ने कहा कि मानव शरीर दुर्लभ है. इसे जनकल्याण के लिए ही उपयोग में लाना चाहिए.
गायक एवं वक्ता मनमोहन चौबे ने भजन व प्रवचन के माध्यम से बताया कि युग पुरुषोत्तम के निर्देशित मार्ग पर चलने से जीवन में शांति, संतुलन और स्थायित्व आता है. उन्होंने यजन और याजन की महत्ता पर भी प्रकाश डाला.
भजन, धर्मसभा, मातृ सम्मेलन और भंडारे ने बढ़ाई गरिमा
समारोह में भजन-कीर्तन की गूंज पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक वातावरण निर्मित कर रही थी. साथ ही धर्मसभा, मातृ सम्मेलन और भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने सहभागिता निभाई. शिवलाल लकड़ा, तापस चंद्र डे, करण प्रजापति, पुरुषोत्तम महन्ता, रत्नाकर महान्ता, अनिल दास, किशन दास, अमर नायक, विद्याधर महाराणा, दीप सुन्दर महापात्र, सनातन धल सहित कई अन्य कलाकारों ने नाचते-गाते भक्ति भाव से समस्त वातावरण को दिव्य रूप प्रदान किया. कार्यक्रम का समापन श्रद्धा और सेवा के संकल्प के साथ हुआ. उपस्थित सत्संगियों ने जीवन में प्रेम, सेवा और आध्यात्मिक साधना को केंद्र में रखकर आगे बढ़ने की प्रतिज्ञा ली. यह जन्मोत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन की दिशा बदलने वाला अनुभव बन गया.
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