
जादूगोड़ा: भारत सरकार के अधीन कार्यरत यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक डॉ. संतोष सतपति पर कंपनी की ही एक महिला अधिकारी ने यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया है। इस मामले में जादूगोड़ा थाने में कांड संख्या 43/2025 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
थाना प्रभारी राजेश कुमार मंडल ने पुष्टि की है कि उन्होंने स्वयं इस प्रकरण की प्रारंभिक जांच की है और मामला अब घाटशिला कोर्ट भेजा गया है। आगे की कार्रवाई न्यायालय के निर्देशों के अनुसार की जाएगी। पीड़िता यूसीआईएल के रिसर्च एंड डेवलपमेंट (CRD) विभाग में पिछले 15 वर्षों से पदस्थापित हैं।
इस बीच डॉ. सतपति ने दिल्ली से फोन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आरोप पूरी तरह से निराधार है। उन्होंने जानकारी दी कि शनिवार को वे इस विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपना पक्ष स्पष्ट करेंगे।
इस घटना ने यूसीआईएल की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व सीएमडी रमेंद्र गुप्ता के समय जिन बंद पड़ी इकाइयों को पुनर्जीवित किया गया था, उनके बाद कंपनी के भीतर प्रशासनिक अनुशासन में लगातार गिरावट देखी गई।
पूर्व कर्मचारी विद्या शर्मा के मामले में भी तकनीकी निदेशक मनोज कुमार द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर विवाद कोर्ट तक पहुंचा है। वहीं, लंबे समय से कुछ अधिकारी एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जबकि बाकी का बार-बार झारखंड से बाहर तबादला किया जा रहा है। तबादले की कोई पारदर्शी नीति न होने के कारण कर्मचारियों में नाराजगी व्याप्त है।
पदोन्नति में पक्षपात और प्रबंधन की आंतरिक राजनीति ने डॉ. सतपति की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। हालांकि वे फिलहाल अस्थायी सीएमडी हैं और कुछ महीनों में आनंद राव उनके स्थान पर पदभार संभालने वाले हैं, लेकिन उनके कार्यकाल के अंत में यह गंभीर आरोप लगना यूसीआईएल के लिए शर्मनाक स्थिति बन गई है।
यौन शोषण का यह मामला सच है या झूठ, यह तो जांच के बाद स्पष्ट होगा, लेकिन इतना तय है कि यूसीआईएल की साख और कार्यसंस्कृति को लेकर एक बार फिर गंभीर चिंताएं सामने आ गई हैं। अब जरूरत है कि कंपनी के प्रबंधन में व्यापक फेरबदल कर संस्थान की साख को बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
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