
देवघर: हर साल सावन के पवित्र महीने में लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, गौमुख या सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने निकलते हैं। यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि श्रद्धा, धैर्य और समर्पण की मिसाल होती है।
एम-सील बना यात्रा का गुप्त संरक्षक
इस भक्ति-यात्रा में एक छोटा-सा उत्पाद, एम-सील, चुपचाप अपनी बड़ी भूमिका निभा रहा है। आमतौर पर पाइप या लीकेज ठीक करने के लिए इस्तेमाल होने वाला एम-सील अब कांवड़ यात्रियों का सबसे विश्वसनीय साथी बन गया है।
क्यों खास है एम-सील?
श्रद्धालु अपने गंगाजल के कलश को लीक होने से बचाने के लिए कलश के ढक्कन पर एम-सील लगाते हैं। इससे न केवल जल पूरी तरह सुरक्षित रहता है, बल्कि यात्रा भी बिना किसी बाधा के पूरी होती है।
जहां श्रद्धालु, वहां एम-सील
अब एम-सील केवल हार्डवेयर दुकानों तक सीमित नहीं है। यह हरिद्वार की हर की पौड़ी, बस स्टैंड, ढाबों, ट्रांसपोर्ट सेंटरों, राशन की दुकानों और यहां तक कि यात्रा के दौरान चलने वाली बसों में भी आसानी से मिल जाता है।
आस्था और इनोवेशन का मेल
भारत में जुगाड़ को इनोवेशन का दूसरा नाम कहा जाता है। एम-सील की इस यात्रा में भूमिका इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक सामान्य-सा उत्पाद भी जब लोगों की जरूरत से जुड़ता है, तो वह खास बन जाता है।
आज एम-सील सिर्फ एक सीलेंट नहीं, बल्कि एक ऐसा साथी बन गया है जिस पर श्रद्धालु आँख मूंदकर भरोसा करते हैं। यह बताता है कि आस्था जब तकनीक से मिलती है, तो यात्रा और भी सहज, सुरक्षित और सफल हो जाती है।
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