
युवकों की शादी पर पड़ रहा है जल संकट का असर.
गम्हरिया : गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर स्थित चामारू में इन दिनों उत्पन्न जल संकट का खामियाजा युवकों को भुगतना पड़ रहा है. ग्रामीणों की माने तो स्कूल के समीप स्थित एक मात्र चापाकल के भरोसे ही वे अपनी प्यास बुझाने को विवश है. उक्त चापाकल की भी स्थिति ऐसी है कि एक हंडी भरने में आधा घंटा से अधिक समय लग जाता है. वहीं गांव में उत्पन्न जल संकट की वजह से लोग अपना लड़की की शादी उक्त गांव में देने से कतराते है. अगर किसी शादी हो जाती है तो कुछ दिन बाद ही वे शहर की ओर पलायन करने लगते हैं.
कई माह से जलमीनार भी है खराब
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल के पास लगा जलमीनार कई माह से खराब पड़ा है. इसकी मरम्मती के लिए कई बार एजेंसी व विभाग से गुहार लगायी गयी, लेकिन अभी तक कोई पहल शुरू नहीं की गयी. ग्रामीणों ने बताया कि मई माह के संक्रांति के दिन गांव में तीन दिवसीय भोक्ता पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाता है. पूजा से पूर्व तक अगर जलमीनर की मरम्मती नहीं होती है, तो आंदोलन करने की चेतावनी दी गयी.
अधिकांश घरों में पानी की सुविधा, फिर भी जल संकट की समस्या
महिलाओं के अनुसार जल संकट उत्पन्न होने का कारण यह नहीं कि गांव में चापाकल खराब पड़े हैं. गांव में जगह-जगह चापाकल की व्यवस्था है. कई घरों में निजी चापाकल व मोटर भी लगाया है, लेकिन पीने लायक नहीं निकलता है. उक्त पानी का उपयोग नहाने व बर्तन धोने तक ही सीमित रह जाता है. मजबूरन ग्रामीणों को पीने के लिए स्कूल स्थित चापाकल पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
सुबह चार बजे ही लग जाती है लंबी कतार
महिलाओं ने बताया कि पेयजल की व्यवस्था के लिए महिलाओं को सुबह चार बजे ही उठकर चापाकल में कतार लगानी पड़ती हैं. सुबह-सुबह नल में इतनी भीड़ हो जाती है कि काफी समय इंतजार करने के बाद अपनी पारी आती है. सुबह नौ-दस बजे तक लोगों की भीड़ जुटी रहती है. पुनः शाम को वही नजारा देखने को मिलता है.
चार वर्षों से पानी टंकी से जलापूर्ति ठप
करीब छह वर्ष पूर्व करोड़ों रुपये खर्च कर गांव में पानी टंकी का निर्माण कराया गया था. करीब एक वर्ष तक अल्प मात्रा में जलापूर्ति भी हुई, लेकिन चार वर्ष से पानी टंकी से जलापूर्ति पूरी तरह से ठप हो चुकी है. कई बार इसकी शिकायत विभाग से की गयी, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला. अगर विभाग द्वारा शीघ्र पानी टंकी से जलापूर्ति शुरू करने की पहल नहीं करती है, तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे.
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