रांची: लंबे संघर्ष और धरना-प्रदर्शन के बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज के 115 पीजी स्टूडेंट्स को राहत मिली है। कॉलेज प्रशासन ने शुक्रवार से सभी जूनियर डॉक्टरों को स्थायी हॉस्टल और 2 बीएचके फ्लैट में आवंटित करने की घोषणा की। इससे पिछले छह महीने से अस्थायी रूप से बाहर रह रहे डॉक्टर अब सुरक्षित और स्थायी आवास में रह सकेंगे।
गुरुवार को जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर चार घंटे तक कॉलेज प्रिंसिपल कार्यालय का घेराव किया। प्रिंसिपल से मिलने पहुंचे डॉक्टरों को शुरुआत में आश्वासन देकर लौटाने की कोशिश की गई, लेकिन इस बार वे अपनी मांग पर अडिग रहे।
स्थिति को गंभीर देखते हुए प्रिंसिपल ने प्रतिनिधिमंडल को आधे घंटे की बातचीत के लिए बुलाया। इस वार्ता के बाद प्रशासन ने कॉलेज परिसर के पीछे बने 2 बीएचके फ्लैट और हॉस्टल आवंटन की सहमति दी, जो शुक्रवार से लागू होगी।
एमजीएम जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. गणेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 115 जूनियर डॉक्टरों में कई महिला चिकित्सक भी शामिल हैं, जो छह महीनों से बाहर किराए पर रह रही थीं। इससे सुरक्षा और आर्थिक खर्च दोनों बड़ी समस्या बने हुए थे।
उन्होंने कहा कि एमजीएम में स्टाइपेंड अन्य मेडिकल कॉलेजों की तुलना में कम है, इसलिए सुरक्षित और सस्ती आवास सुविधा उनके लिए बेहद जरूरी थी।
इस फैसले से जूनियर डॉक्टरों में राहत की लहर है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि अब आवास संबंधित कोई समस्या नहीं रहेगी और छात्र अपनी पढ़ाई और शोध कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।