
Jhargram : झाडग्राम जिले के संकराइल प्रखंड के घोडापाडा गांव निवासी और पेशे से शिक्षक किसुन बेसरा ने बुधवार को कुलटिकरी डाकघर के माध्यम से भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक विशेष पत्र भेजा। पिछले दिन यानी मंगलवार को भी उन्होंने यही संदेश ईमेल के माध्यम से राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा था। पत्र के माध्यम से किसुन और उनके जैसे कई अन्य योग्य लेकिन बर्खास्त शिक्षकों ने राष्ट्रपति का ध्यान अपने लंबे समय से चली आ रही जायज मांगों की ओर आकर्षित किया है।
स्कूल वापस आने का मौका दिया जाए
किसुन बेसरा ने कहा, हमने लंबे समय तक स्कूलों में पढ़ाया है, योग्यता के बावजूद लेकिन आज हम बेरोजगार हैं। हमारी एकमात्र मांग है कि हमें बहाल होने का अवसर दिया जाए और सम्मान के साथ स्कूल वापस आने का मौका दिया जाए।” उन्होंने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि अगर उन्हें नौकरी नहीं मिली तो वे अपने परिवार के साथ स्वेच्छा से मरने की अनुमति मांगने को मजबूर होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ निराशा नहीं है, बल्कि न्याय और सामाजिक सम्मान की रक्षा के लिए एक पुरजोर अपील है।
मानवीय पक्ष को उजागर
डाकघर के बाहर खड़े किसुन ने कहा, “यह आंदोलन सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि सभी बर्खास्त योग्य शिक्षकों की ओर से है। राष्ट्रपति के बाद हम प्रधानमंत्री और अन्य उच्च पदों पर बैठे लोगों को भी इन्हीं मांगों को लेकर पत्र भेजेंगे।” इस घटना ने एक बार फिर राज्य की शिक्षक भर्ती समस्या की गहराई और उसके मानवीय पक्ष को उजागर कर दिया है। बर्खास्त शिक्षकों का यह आंदोलन सिर्फ अपनी नौकरी की बहाली के लिए ही नहीं, बल्कि व्यापक न्याय की मांग के लिए भी आकार ले रहा है।
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