
जमशेदपुर: आज उपायुक्त व्यवहार न्यायालय में बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी जलापूर्ति योजना से जुड़ी लंबित सुनवाई संपन्न हुई। यह मामला भ्रष्टाचार और जलापूर्ति की अनियमितताओं को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका का हिस्सा है। मामला मिस केस नंबर 21/2022 एवं 24 के तहत चल रहा है। 6 मई 2025 को दोनों मुखियाओं ने अपने वकीलों के माध्यम से बचाव प्रस्तुत किया था। 9 मई को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता, मैकेनिकल विभाग के कार्यपालक अभियंता और अन्य संबंधित पक्षों ने भी अपने पक्ष में कागजात न्यायालय में जमा किए।
भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी में गंदा पानी वितरण, अवैध कनेक्शन, वित्तीय हिसाब-किताब की पारदर्शिता का अभाव, मोटर और पाइप की मरम्मत में भ्रष्टाचार जैसे कई मुद्दे हैं। 21 लाख 63 हजार रुपए के फंड से फिल्टर प्लांट के मरम्मत का काम भी पूरा नहीं हुआ है।
न्यायालय का आदेश और फंडिंग की स्थिति
झारखंड हाईकोर्ट ने 30 दिनों के भीतर उपायुक्त के व्यवहार न्यायालय को कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इसके बाद भारत सरकार के जल जीवन मिशन के तहत झारखंड सरकार को 1 करोड़ 88 लाख 69 हजार 710 रुपए का फंड स्वीकृत हुआ। पेयजल विभाग ने 15 महीनों में फिल्टर प्लांट का निर्माण पूरा कर 26 जुलाई 2024 को न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
फिल्टर प्लांट का वर्तमान हाल और निरीक्षण
सुबोध झा ने आज न्यायालय के बाद बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी में नए फिल्टर प्लांट का निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि फिल्टर प्लांट अधूरा है, गेट ताले से बंद हैं और कोई कर्मचारी उपस्थित नहीं है। फिल्टर प्लांट की क्षमता कम होने के कारण 1140 घरों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। हजारों अवैध कनेक्शन भी इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। आज की सुनवाई के बाद न्यायालय ने कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया और अगली तारीख पर जजमेंट सुरक्षित रखा है। सुनवाई के दौरान बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष सुबोध झा, विनय कुमार, विनोद राम और पार्थो पांडा मौजूद थे।
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