Syrups Death Case: जहरीले कफ सिरप से 16 बच्चों की मौत, पांच राज्यों में जांच तेज – केंद्र सरकार ने दी सख्त चेतावनी

नई दिल्ली:  मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद केंद्र सरकार एक्शन मोड में आ गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चेताया है कि दवा फैक्टरियों की जांच में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि देश के हर जिले में औषधि नियंत्रक अधिकारी दवा निर्माण इकाइयों का निरीक्षण करेंगे। जो फैक्टरियां संशोधित शेड्यूल एम अधिनियम के मानकों पर खरी नहीं उतरेंगी, उनके लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिए जाएंगे।

हर जिले में सख्त जांच, बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 200 से ज्यादा अधिकारी शामिल हुए। सचिव ने साफ कहा कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी राज्य अपनी रिपोर्ट तुरंत केंद्र को भेजें और हर संदिग्ध दवा की जांच सुनिश्चित करें। साथ ही, सभी स्वास्थ्य संस्थानों को समय पर रिपोर्ट भेजने और आईडीएसपी-आईएचआईपी प्रणाली के ज़रिए सामुदायिक रिपोर्टिंग को बढ़ावा देने को कहा गया है ताकि किसी भी दवा से जुड़े खतरे की तुरंत पहचान और कार्रवाई की जा सके।

“बच्चों को दवा नहीं, घरेलू नुस्खे अपनाएं”
बैठक में यह भी बताया गया कि बच्चों में खांसी और सर्दी-जुकाम आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं, इनके लिए सिरप या दवाओं की जरूरत नहीं होती।
स्वास्थ्य सचिव ने डॉक्टरों से अपील की कि वे बच्चों को कॉम्बिनेशन कफ सिरप देने से बचें और अभिभावकों को घरेलू उपचार अपनाने के लिए प्रेरित करें।

कफ सिरप से हुई मौतों की पुष्टि
ड्रग कंट्रोलर डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने बताया कि राजस्थान में चार में से दो और मध्य प्रदेश में करीब 10 बच्चों की मौत जहरीले कफ सिरप के कारण हुई है।
तमिलनाडु में जांच के दौरान सिरप निर्माता फैक्टरी में गंभीर खामियां मिलीं — जैसे बाजार में भेजने से पहले जांच न होना और मानकों का पालन न करना।

“किसी अन्य संक्रमण का कारण नहीं मिला”
आईसीएमआर प्रमुख डॉ. राजीव बहल ने बताया कि प्रभावित जिलों में जांच टीमों ने पानी और वातावरण के नमूने भी लिए, पर उनमें किसी वायरस या बैक्टीरिया का पता नहीं चला। यानी मौतों की वजह केवल जहरीला सिरप ही है।

डॉक्टर और कंपनी पर मामला दर्ज
मध्य प्रदेश पुलिस ने बच्चों को ‘कोल्ड्रिफ सिरप’ लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया है। इसी मामले में सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या, औषधि में मिलावट और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

अब तक 16 बच्चों की मौत
छिंदवाड़ा में अब तक 14 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि बैतूल जिले में 2 बच्चों की जान गई है। जांच में पाया गया कि अधिकांश मामलों में यही कोल्ड्रिफ सिरप दिया गया था।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दी जाए। पांच साल तक के बच्चों को दवा केवल डॉक्टर की सख्त निगरानी में और सीमित मात्रा में दी जाए। अब गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए हानिकारक दवाओं पर चेतावनी लेबल लगाना भी अनिवार्य होगा।

‘कोल्ड्रिफ’ सिरप में मिला जानलेवा रसायन
तेलंगाना सरकार की जांच में पता चला है कि ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप के बैच SR-13 में डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक जहरीला रसायन पाया गया है, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। महाराष्ट्र FDA ने इस बैच की बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है और लोगों से सिरप की जानकारी देने को कहा है।

एक और दवा पर जांच, बिक्री पर रोक
मध्य प्रदेश में ‘नेक्स्ट्रो डीएस सिरप’ के नमूनों की जांच जारी है। सरकार ने इस सिरप और इसी कंपनी के सभी उत्पादों की बिक्री तुरंत रोक दी है।

केंद्र सरकार ने सीडीएससीओ को निर्देश दिया है कि तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, हिमाचल, महाराष्ट्र और गुजरात में संदिग्ध दवा फैक्टरियों की जांच की जाए।
मामले में 19 दवाओं के नमूने लिए गए हैं, जिनमें कफ सिरप, एंटीबायोटिक और बुखार की दवाएं शामिल हैं। दोषी पाए जाने पर कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे।

 

 

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