रांची: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और झारखंड राज्य किसान सभा के बैनर तले सोमवार को राहे प्रखंड मुख्यालय के सामने किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान यूरिया खाद की लूट, भ्रष्टाचार, मुआवजा, मनरेगा, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों को उठाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम 23 सूत्री मांगपत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा गया।
मुख्य मांगें
प्रदर्शन के दौरान किसान सभा ने कहा—
यूरिया खाद की किल्लत और कालाबाज़ारी पर रोक लगे।
किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा मिले।
मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये दैनिक मजदूरी मिले।
स्मार्ट मीटर बंद किए जाएं और बिजली व्यवस्था सुधारी जाए।
किसानों को क्रेडिट कार्ड और जंगल क्षेत्र के किसानों को वनपट्टा मिले।
जबरन भूमि अधिग्रहण और लैण्ड बैंक नीति रद्द की जाए।
राहे में रेफ़रल अस्पताल और सिंचाई के साधन विकसित हों।
विद्यालयों और अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधार हो।
खाद-बीज वितरण में हुए घोटालों की जांच हो।
सभा को संबोधित करते हुए माकपा राज्य सचिव मंडल सदस्य और किसान सभा के अध्यक्ष सुफल महतो ने कहा कि आज़ादी के बाद पहली बार देश में यूरिया खाद की इतनी भारी कमी देखी जा रही है। इसके लिए उन्होंने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा—
“11 साल में मोदी सरकार ने किसानों और मजदूरों को सिर्फ बर्बादी दी है। निजीकरण, महंगाई, बेरोजगारी और कॉरपोरेट लूट ही इन सालों की पहचान रही है। सबका साथ-सबका विकास का नारा केवल अडानी-अंबानी के विकास तक सीमित रह गया है।”
माकपा नेताओं ने बताया कि 1 से 15 सितंबर तक राज्यभर में प्रखंड स्तर पर धरना-प्रदर्शन आयोजित होंगे। उनका कहना है कि वे गांव-गांव जाकर जनता को बताएंगे कि सरकार ने किसानों, मजदूरों और युवाओं से किए गए वादे पूरे नहीं किए हैं।
प्रदर्शन में रंगोवती देवी, विसंबर महतो, जयपाल सिंह मुंडा, पांडूराम मुंडा, शोभाराम महतो, बुधराम मांझी, सुखदेव महतो, संतोष गोझू, अनंत मुंडा, परमेश्वर महतो, नेपाल बड़ाईक समेत बड़ी संख्या में किसान और मजदूर शामिल हुए।
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