
जादूगोड़ा: जादूगोड़ा स्थित यूसिल अस्पताल, जो कभी स्वच्छता और सेवा व्यवस्था के लिए जिले में मिसाल माना जाता था, अब आवारा कुत्तों का अड्डा बन चुका है। शुक्रवार को अस्पताल परिसर में कई जगह कुत्ते बेखौफ आराम करते देखे गए — मुख्य द्वार से लेकर दवा काउंटर और इमरजेंसी वार्ड तक।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने सुरक्षा पर से ध्यान हटा लिया है। यूसिल की तैनात निजी सुरक्षा गार्ड गाड़ियों की पार्किंग में व्यस्त रहती है, जबकि कुत्ते अस्पताल के अंदर बेधड़क घूमते हैं। स्थिति यह है कि कुत्ते मरीजों के इलाज कक्ष तक पहुंच रहे हैं और अब सवाल उठ रहा है कि अस्पताल में सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर कौन निभा रहा है?
स्थिति और गंभीर तब हो जाती है जब पता चलता है कि कंपनी अस्पताल में कुत्ते काटने की दवा तक उपलब्ध नहीं है। यानी अगर किसी मरीज को कुत्ता काट भी ले, तो प्राथमिक उपचार की व्यवस्था अस्पताल में नहीं है।
जादूगोड़ा से लेकर मुसाबनी प्रखंड तक यह समस्या सिर्फ अस्पताल तक सीमित नहीं है। प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात महीनों में क्षेत्र में 344 बच्चे और बुज़ुर्ग आवारा कुत्तों के शिकार हो चुके हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों में डर का माहौल है, और लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
स्थानीय निवासियों ने यूसिल प्रबंधन और झारखंड सरकार से गुहार लगाई है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर जल्द से जल्द रोक लगाई जाए। अस्पतालों और रिहायशी इलाकों में जानवरों की बेखौफ आवाजाही न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है।
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