
जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में नगर निकायों के अंतर्गत संचालित योजनाओं की प्रगति और गुणवत्ता की समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में शहरी नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
बैठक के दौरान केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं जैसे पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सड़क व जलनिकासी व्यवस्था, शहरी परिवहन तथा आवास योजनाओं की बिंदुवार समीक्षा की गई।
उपायुक्त ने कहा कि “हर योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक समय पर पहुंचे, यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”
शहरी ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उपायुक्त ने अवैध पार्किंग पर सख्ती बरतने, ऑनलाइन चालान की प्रक्रिया को तेज करने तथा नए पार्किंग स्थलों की पहचान कर टेंडर जारी करने का निर्देश दिया।
मानगो बस स्टैंड के पुनर्गठन और व्यवस्थित संचालन पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही गई।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत बिरसानगर क्षेत्र में पूर्ण हो चुके आवासों को जल्द लाभुकों को सौंपने की बात कही गई। उपायुक्त ने निर्देश दिया कि “सभी आवश्यक नागरिक सुविधाओं को बहाल कर लाभुकों को शीघ्र लाभान्वित किया जाए। योजनाओं का लाभ केवल कागजों पर नहीं, ज़मीनी हकीकत में दिखना चाहिए।”
नक्शा विचलन कर बनाए जा रहे भवनों पर सख्त निगरानी रखने और नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि “नियोजित शहरी विकास के लिए नक्शा नियमों का पालन अनिवार्य है।”
बैठक में एक समर्पित डिजिटल शिकायत निवारण प्रणाली विकसित करने की बात कही गई, जिससे नागरिक ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकें, उसकी स्थिति ट्रैक कर सकें और समय पर समाधान प्राप्त करें। उपायुक्त ने इसे “जनता से संवाद का सशक्त माध्यम” बताया।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) और पीएम स्वनिधि योजना की समीक्षा करते हुए ऋण वितरण में तेजी लाने और बैंकों के साथ समन्वय स्थापित करने की बात कही गई।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी), मुख्यमंत्री श्रमिक योजना जैसे कार्यक्रमों की प्रगति पर भी विस्तृत चर्चा हुई।
जलापूर्ति से जुड़ी योजनाओं के संचालन और अनुरक्षण का कार्य नगर निकायों को स्वयं करने की बात कही गई ताकि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को इससे मुक्त किया जा सके। इससे स्थानीय स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी।
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