
जादूगोड़ा: दो महीने बाद यूसिल अस्पताल में दवा आपूर्ति सेवा तो शुरू हुई, लेकिन पहले ही दिन मरीजों को भारी निराशा का सामना करना पड़ा. कंपनी प्रबंधन द्वारा जुगसलाई स्थित आउटसोर्सिंग एजेंसी केके फार्मा को ब्रांडेड दवाओं की आपूर्ति का जिम्मा सौंपा गया था. इसका टेंडर आदेश 16 जून को ही जारी कर दिया गया था. लेकिन सेवा शुरू होने के पहले ही दिन यह एजेंसी जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध कराने में विफल रही.
मरीजों की पीड़ा, खाली हाथ लौटे लोग
दवा काउंटर पर भारी भीड़ थी. लेकिन शुगर, खांसी, हृदय रोग व अन्य जरूरी बीमारियों की दवाएं मौजूद नहीं थीं. भूतपूर्व यूसिल कर्मी अनिल चंद्र दास ने बताया कि दवा केवल पर्ची में दर्ज की गई और मरीजों को कहा गया कि 48 घंटे के भीतर दवाएं मिल जाएंगी. लेकिन कई वरिष्ठ नागरिक व पूर्व कर्मी बरसात में पहले से ही बीमार हैं, जिनके लिए इतनी देर घातक साबित हो सकती है.

क्या 48 घंटे का इंतजार वाजिब है?
जादूगोड़ा यूसिल अस्पताल जमशेदपुर से मात्र 40 मिनट की दूरी पर स्थित है. ऐसे में दवा पहुंचाने में 48 घंटे का वक्त लेना समझ से परे है. मरीजों को पहले ही दिन दवा की किल्लत से जूझना पड़ा. यह स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीरता पर सवाल खड़े करती है.
कर्मचारियों में रोष, टेंडर रद्द करने की मांग
पूर्व कर्मचारियों में इस लचर आपूर्ति व्यवस्था को लेकर भारी असंतोष देखा गया. कई लोगों ने केके फार्मा का टेंडर रद्द करने की मांग की है. उनका कहना है कि जो कंपनी पहले ही दिन मरीजों की जरूरत नहीं समझ सकी, वह भविष्य में क्या सेवा दे पाएगी?
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