- भूमिज समाज ने हाड़शाली-मसलना स्थलों के संरक्षण से लेकर अलग धर्म कोड की मांग रखी
- भूमिज समाज ने अलग धर्म कोड और एसटी सूची में शामिल करने की रखी मांग
जमशेदपुर : भारतीय आदिवासी भूमिज समाज के राष्ट्रीय महासचिव दिनेश सरदार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को डाक के जरिए आठ सूत्री मांग पत्र भेजा है। इस मांग पत्र में सबसे अहम मुद्दा पेसा कानून को सख्ती से लागू करने का उठाया गया है। समाज ने कहा है कि भूमिज जनजाति झारखंड राज्य में 600 ईसा पूर्व से बसी है और इसकी विशिष्ट पहचान हाड़शाली एवं मसलना स्थलों को संरक्षण एवं घेराबंदी की आवश्यकता है। इसके साथ ही सीएनटी व एसपीटी एक्ट को कड़ाई से लागू करने, अवैध रूप से स्थानांतरित भूमि की वापसी करने और परंपरागत समाज व्यवस्था की रक्षा करने की मांग भी उठाई गई है।
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पेसा कानून और भूमिज स्थलों के संरक्षण की मांग
आठ सूत्री मांग पत्र में आदिवासियों की धार्मिक पहचान के लिए जनगणना प्रपत्र में अलग धर्म कोड देने, गलत जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर संबंधित अधिकारियों और लाभुक व्यक्तियों पर दंड का प्रावधान करने, भूमिज समाज की रूढ़िवादी परंपरागत व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा देने जैसी मांगें शामिल हैं। इसके अलावा असम राज्य के चाय बागानों में कार्यरत भूमिज समुदाय के लोग और झारखंड के अन्य आदिवासी समूहों को एसटी सूची में शामिल करने का आग्रह किया गया है। भारतीय आदिवासी भूमिज समाज की ओर से झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम का प्रतिनिधिमंडल अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में दिल्ली जाकर राष्ट्रपति से इन मांगों पर कार्रवाई की अपील करेगा।