Jamshedpur : परशुराम जयंती को ब्राह्मण शक्ति दिवस के रूप में मनाने का लिया गया निर्णय

Spread the love

जमशेदपुर : परशुराम जयंती को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी ” ब्राह्मण शक्ति दिवस ” के रूप में मनाया जायेगा। कार्यक्रम बाराद्वारी विश्वकर्मा भवन में संध्या 4 बजे से आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम की सफलता पूर्वक आयोजन हेतु विभिन्न प्रभारियों को नियुक्त किया गया है।  आयोजन समिति में कार्यक्रम प्रभारी – डॉ पवन पांडेय एवं अशोक पाण्डेय। प्रचार प्रसार प्रभारी – उमलेश पाण्डेय एवं मिथलेश दूबे। कोष प्रभारी – संजय मिश्रा एवं योगेश दूबे,  मंच प्रभारी चंद्र प्रकाश शुक्ला एवं विजया वासनी पाण्डेय, अतिथि प्रभारी – जितेन्द्र मिश्रा एवं रामानुजन चौबे, खान पान प्रभारी – श्री पप्पू पाण्डेय एवं ललित पाण्डेय को बनाया गया है।

सनातन संस्कृति ने शस्त्रों को अपनाया

संघ इस बार कार्यक्रम के माध्यम से पूरे ब्राह्मण समाज सहित सनातन संस्कृति और हिन्दू समाज को उसके परम आराध्य भगवान परशुराम जिनके बारे में यह विदित है कि वे धरती पर और 8 चिरंजीवी की तरह चिरंजीवी है। और जिन्होंने हमेशा से सभ्य समाज को शास्त्रों के साथ शस्त्र के ज्ञान को मानव जीवन में कितनी आवश्यकता है उसका उदहारण दिया है। आज की परिस्थितियों पर यदि नजर उठाकर देखा जाए तो जब से ब्राह्मण समाज शस्त्रों से दूर हुआ है। तब से मानवीय मूल्यों का संसार में कुछ लोगों द्वारा महत्व को कम कर आंकने का प्रयास किया गया है। इतिहास इसका गवाह है कि केवल शास्त्रों के सहारे सभ्यताओं को सुरक्षित नहीं किया जा सकता है इसके लिए शस्त्र कि ही परम आवश्यकता पड़ती है। जब भी ब्राह्मणो ने और सनातन संस्कृति ने शस्त्रों को अपनाया है।

शक्ति हमेशा से ही सही हाथों में होनी ही चाहि

तब-तब आसुरी और अनैतिक ताकतें कमजोर हुई है। क्योंकि शक्ति हमेशा से ही सही हाथों में होनी ही चाहिए। जब जब शक्ति गलत हाथों में होती है उससे समाज देश ही नहीं पूरे विश्व को उसका दंश झेलना पड़ता है। शस्त्रों को ना अपनाया जाना वर्तमान समय में व्यक्ति और समाज को शक्ति विहिन करता है। और मनुष्य के अन्दर दुसरे पर आश्रित होने पर विवश करता है। तथा प्रतिकूल परिस्थितियों का जब भी जीवन में यदि निर्माण हो जाए तो व्यक्ति या उस समय को उस परिस्थिति का सामना करने के बजाय पलायन वादि सोच के लिए प्रेरित करता है। और व्यक्ति या समाज बिना उस परिस्थिति का सामना किए ही उस परिस्थिति से पिछे हटने को ही सही विकल्प मानता है। और फिर अपना सब-कुछ गंवाकर बाद में सिर्फ अफसोस करता रहता है। इसलिए सभ्य समाज को भगवान श्री परशुराम का ज्ञान और शिक्षा को अपने निजी जीवन में अनुसरण करना वर्तमान समय में अतिआवश्यक है ।।


Spread the love
  • Related Posts

    Jamshedpur: देवकीनंदन खत्री की जयंती पर कहानियों की बरसात, दो नवीन कृतियों का भी हुआ लोकार्पण

    Spread the love

    Spread the loveजमशेदपुर : सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन और तुलसी भवन द्वारा प्रयाग कक्ष में ‘कथा मंजरी’ मासिक गोष्ठी एवं हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक देवकीनंदन खत्री की जयंती…


    Spread the love

    Jamshedpur: छतरपुर में झारखंड के पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने किया बूथ स्तर तक संवाद

    Spread the love

    Spread the love जमशेदपुर : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत संगठनात्मक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं. इस क्रम…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *