
जमशेदपुर: ग्रेजुएट कॉलेज के वाणिज्य विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सुदीप्ता दास ने बजट को निराशजनक बताया है, उन्होंने कहा कि समाज के कई क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद दिव्यांग व्यक्तियों के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं. केंद्रीय बजट में दिव्यांगों के लिए पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता, जिसके कारण उनकी समस्याओं का समाधान अधूरा रह जाता है.
स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य आपूर्ति में बाधाएँ
दिव्यांग व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और यहां तक कि बुनियादी खाद्य आपूर्ति तक पहुंचने में लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ता है. एक मुख्य कारण यह है कि दिव्यांगता को ‘कल्याण’ और ‘लागत-आधारित दृष्टिकोण’ से देखा जाता है, जिससे कुछ कल्याणकारी योजनाओं के लिए सीमित वित्तीय संसाधन आवंटित किए जाते हैं.
दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता
यह दृष्टिकोण विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में दीर्घकालिक ‘निवेश’ की आवश्यकता को नजरअंदाज करता है. शारीरिक अक्षमता से जुड़े मुद्दों को केवल सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से देखना पर्याप्त नहीं है; इसके लिए मानव पूंजी के योगदान को भी सकारात्मक रूप में समझने की आवश्यकता है.
समग्र दृष्टिकोण का महत्व
इस दिशा में एक दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण अपनाना अनिवार्य है. केवल तभी दिव्यांग व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान संभव होगा और उन्हें समाज में समान अवसर मिल सकेंगे.
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