
जमशेदपुर: जमशेदपुर स्थित सीएसआईआर–राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह सम्मेलन खनिज प्रसंस्करण के क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित हुआ, जिससे आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को मजबूती मिल सके.
सम्मेलन में देश के विभिन्न 22 संस्थानों और संगठनों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान 66 तकनीकी शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जो खनिज विज्ञान और औद्योगिक तकनीकों में हो रहे नवीनतम प्रयोगों और खोजों को दर्शाते हैं.
दूसरे दिन के व्याख्यान में डॉ. पीके बनर्जी (उत्कृष्ट वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सीआईएमएफआर) ने भारत के इस्पात उत्पादन में 85% आयातित कोयले पर निर्भरता को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने घरेलू परिशोधन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता बताई, ताकि 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया जा सके.
आईआईटी-आईएसएम धनबाद के प्रो. डीके सिंह ने मोनाजाइट खनिजों से दुर्लभ मृदा तत्वों के निष्कर्षण के लिए उन्नत लाभ तकनीकों पर चर्चा की. उन्होंने टिकाऊ, पर्यावरण-अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य तकनीकों के विकास पर ज़ोर दिया, जिससे भारत के रणनीतिक खनिज संसाधनों का अधिकतम दोहन संभव हो सके.
एरिज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक टिम शीहान ने खनन व खनिज प्रसंस्करण में नवाचार को केवल तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि एक लीडरशिप माइनसेट की आवश्यकता बताया. उन्होंने भारत और विकसित देशों के नवाचार परिदृश्यों की तुलना करते हुए बताया कि संस्कृति, अर्थव्यवस्था और संरचनात्मक पहलू किस तरह नवाचार की गति को प्रभावित करते हैं.
टाटा स्टील के आईएमटीजी प्रमुख डीपी चक्रवर्ती ने पूर्वी भारत में जटिल लौह अयस्कों के लाभन के लिए अपनाई जा रही रणनीतियों की जानकारी साझा की. उन्होंने औद्योगिक अनुभवों के आधार पर क्षेत्रीय खनिज संसाधनों के अधिकतम उपयोग के तरीकों पर प्रकाश डाला.
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