
रांची : बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव भले ही राज्य की सीमा तक सीमित हों, लेकिन इसकी सियासी गूंज अब झारखंड तक सुनाई देने लगी है. बिहार की राजनीति में सक्रियता दिखा रहे झारखंड के राजनीतिक दल अब सीधे हस्तक्षेप करते नज़र आ रहे हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की हालिया मुलाकात इसी क्रम की एक अहम कड़ी मानी जा रही है.
सीएम हेमंत सोरेन से अशोक चौधरी की ‘शिष्टाचार भेंट’
शुक्रवार, 13 जून को बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री और जदयू नेता डॉ. अशोक चौधरी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. यह जानकारी झारखंड मुख्यमंत्री कार्यालय के एक्स हैंडल से साझा की गई. पोस्ट में इस मुलाकात को ‘शिष्टाचार भेंट’ बताया गया, और दोनों नेताओं की मुस्कुराती तस्वीर भी साझा की गई.
लेकिन इस मुलाकात की टाइमिंग और पृष्ठभूमि कुछ और ही इशारे कर रही है.
JMM को नहीं मिला न्योता, पार्टी ने जताई नाराजगी
गौरतलब है कि ठीक एक दिन पहले 12 जून को पटना में महागठबंधन की बैठक आयोजित हुई थी. इस बैठक में कांग्रेस, राजद और अन्य दल शामिल हुए. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे पार्टी में असंतोष पनप गया.
JMM के महासचिव विनोद कुमार पांडे ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. हम गठबंधन के तहत चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन बार-बार हो रही बैठकों में झारखंड मुक्ति मोर्चा को नजरअंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे कई सवाल खड़े होते हैं.”
क्या हेमंत-अशोक की भेंट नाराज JMM की रणनीति का हिस्सा है?
अब सवाल यह है कि जब JMM गठबंधन से उपेक्षा का अनुभव कर रहा है, तो हेमंत सोरेन की यह भेंट क्या महज औपचारिक मुलाकात है? या फिर JMM ने इस मुलाकात के जरिए राजद और महागठबंधन को एक कड़ा राजनीतिक संदेश दे दिया है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात संकेत हो सकती है कि JMM अब बिहार की राजनीति में केवल एक समर्थक दल नहीं, बल्कि सक्रिय खिलाड़ी बनना चाहता है.
गठबंधन की एकता पर मंडराने लगे हैं सवाल
झारखंड में झामुमो, कांग्रेस और राजद की सरकार है. ऐसे में अगर JMM को बिहार की महागठबंधन रणनीति में महत्व नहीं दिया गया, तो यह गठबंधन की एकता और स्थायित्व पर सवाल खड़े करता है.
आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर बातचीत और स्पष्टता की आवश्यकता है. क्योंकि यदि नाराजगी बढ़ती रही, तो JMM अपने स्वतंत्र विकल्पों की ओर भी रुख कर सकता है — जो बिहार की सियासत को नया मोड़ दे सकता है.
इसे भी पढ़ें : West Singhbhum: खदान में फंसा 100 टन का डम्फर, अचानक बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें