
जमशेदपुर: समाजवादी चिंतक और जमशेदपुर जिला बार एसोसिएशन के वरीय सदस्य सुधीर कुमार पप्पू ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के सातवें बार चेयरमैन चुने गए वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा को महत्वपूर्ण सलाह दी. पप्पू ने कहा कि मनन कुमार मिश्रा को या तो राज्यसभा सांसद या फिर बीसीआई चेयरमैन में से एक पद छोड़ देना चाहिए. उनका मानना था कि दोनों पदों पर एक साथ रहकर कोई भी व्यक्ति अपनी राजनीतिक और पेशेवर जिम्मेदारियों के प्रति ईमानदार और प्रतिबद्ध नहीं रह सकता.
राजनीतिक और पेशेवर प्रतिबद्धता में टकराव
सुधीर कुमार पप्पू ने यह भी कहा कि मनन कुमार मिश्रा भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के बिहार से राज्यसभा सांसद हैं और उन्हें पार्टी की ह्विप के अनुसार मतदान करना अनिवार्य है. हाल ही में केंद्र सरकार ने अधिवक्ता संशोधन अधिनियम का प्रारूप सार्वजनिक किया था, जिसे वकील समुदाय ने अपनी पेशेवर स्वतंत्रता पर आघात मानते हुए विरोध किया था. इस संशोधन के विरोध में वकीलों की एकजुटता ने केंद्र सरकार को कदम पीछे खींचने पर मजबूर किया, लेकिन अब सरकार ने इसे एक एक्सपर्ट कमेटी को सौंप दिया है.
मनन कुमार मिश्रा पर सवाल
पप्पू ने आरोप लगाया कि बीसीआई के चेयरमैन होते हुए भी मनन कुमार मिश्रा ने वकीलों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया. बल्कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि इस अधिनियम को पारित करना उनका उद्देश्य है. यह वकील समुदाय के लिए चिंताजनक है क्योंकि मनन कुमार मिश्रा के बयान और उनके राजनीतिक संबंध वकील समुदाय के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं. पप्पू ने यह सवाल भी उठाया कि जब अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट पर काम किया जा सकता था तो क्यों नहीं यह निजी बिल के रूप में राज्यसभा में पेश किया गया.
मनन कुमार मिश्रा से इस्तीफे की मांग
सुधीर कुमार पप्पू ने मनन कुमार मिश्रा से यह भी पूछा कि क्यों नहीं उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर वकीलों के लिए 5000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान करवाया? पप्पू का कहना था कि मनन कुमार मिश्रा भाजपा के पक्ष में प्रभावशाली राजनीति कर रहे हैं, और इसी कारण उन्हें बीसीआई के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और राज्यसभा में अपनी भूमिका निभानी चाहिए.
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