
जादूगोड़ा: जमशेदपुर के सहायक प्रोफेसर अम्पा कुमार हेंब्रम और राजदोहा के माझी बाबा युवराज टुडू की पहल पर पोटका प्रखंड के डूंगरीडीह गांव में पेसा कानून को लेकर एक जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई. यह इलाका पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में आता है, जहां पेसा कानून की भूमिका और उससे जुड़े अधिकारों को लेकर ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया गया. ग्रामीणों ने इस कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी दिखाई और कई सवाल भी पूछे.
प्रो. अम्पा हेंब्रम ने स्पष्ट किया कि मांझी-परगना जैसी पारंपरिक स्वशासन प्रणाली को दरकिनार कर राज्य में पेसा कानून को लागू करना व्यावहारिक नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ स्वार्थी तत्व गांवों और सरकार के बीच गलतफहमी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. कार्यशाला के दौरान यह भी बताया गया कि पेसा कानून सिर्फ कानूनी अधिकारों का दस्तावेज नहीं, बल्कि यह गांव की स्वायत्तता, निर्णय प्रक्रिया और पारंपरिक सोच से जुड़ा हुआ है.
पेसा के तहत ग्रामसभा को विकास योजनाओं, संसाधनों के उपयोग और प्रशासनिक फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है. इस संदर्भ में कार्यशाला में आदिवासी समुदाय की भूमिका और पारंपरिक शासन प्रणाली पर भी गंभीर मंथन हुआ.
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