मुंबई: टाटा ट्रस्ट में मेहली मिस्त्री के ट्रस्टी पद को लेकर चल रही अटकलों का मंगलवार को अंत हो गया। सूत्रों के अनुसार, मेहली मिस्त्री ने आधिकारिक रूप से टाटा समूह से अलग होने का निर्णय लिया है। उन्होंने तीन प्रमुख ट्रस्टों — सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जे.एन. टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन ट्रस्ट — के ट्रस्टी पद से इस्तीफा दे दिया है।
“सेवा का अवसर मिलना सौभाग्य की बात रही”
अपने इस्तीफे की सूचना देते हुए मिस्त्री ने ट्रस्ट के सदस्यों को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि ट्रस्टी के रूप में सेवा करना उनके लिए एक सम्मानजनक अनुभव रहा। उन्होंने रतन एन. टाटा को अपना “प्रिय मित्र और मार्गदर्शक” बताते हुए लिखा, “यह अवसर मुझे उनके व्यक्तिगत समर्थन से मिला था। मेरा मानना है कि कोई भी व्यक्ति उस संस्थान से बड़ा नहीं है जिसकी वह सेवा करता है।”
“संस्था की प्रतिष्ठा सर्वोपरि”
मिस्त्री ने कहा कि वह हमेशा रतन टाटा की उस सोच से प्रेरित रहे हैं जिसमें नैतिक शासन, शांत परोपकार और निष्ठा सर्वोच्च मानी जाती है।
उन्होंने लिखा, “टाटा ट्रस्ट किसी विवाद में न उलझे, यही मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि ऐसा होने पर संस्था की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हो सकती है।”
अपने पत्र का समापन उन्होंने रतन टाटा के उद्धरण से किया — “कोई भी व्यक्ति उस संस्थान से बड़ा नहीं है जिसकी वह सेवा करता है।”
कार्यकाल समाप्त, नई नियुक्ति पर विवाद
मिस्त्री का ट्रस्टी के रूप में कार्यकाल 27 अक्टूबर 2025 को समाप्त हो गया था। पिछले वर्ष बोर्ड ने उन्हें आजीवन ट्रस्टी के रूप में पुनर्नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन दो प्रमुख ट्रस्टों के तीन ट्रस्टीयों ने इस पर आपत्ति जताई।
इसी मतभेद के चलते उनकी पुनर्नियुक्ति को मंजूरी नहीं मिल सकी।
कानूनी कदम और अंतिम निर्णय
संभावित विवादों को देखते हुए मिस्त्री ने पहले ही महाराष्ट्र धर्मार्थ आयुक्त के पास याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रस्टियों की सूची में किसी भी बदलाव से पहले उन्हें सुना जाए। हालांकि अब उन्होंने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए टाटा ट्रस्ट से अपने अलग होने की औपचारिक घोषणा कर दी है।