
बहरागोड़ा: शुक्रवार को सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, ईचड़ासोल (बहरागोड़ा) में गुरु पूर्णिमा उत्सव श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया। हालांकि यह पर्व 10 जुलाई को था, लेकिन भारी वर्षा की आशंका और विद्यालय में अवकाश के कारण समारोह एक दिन बाद आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय में सामूहिक वंदना के साथ हुई। इसके उपरांत महर्षि वेदव्यास के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर विधिवत पूजन संपन्न किया गया। बच्चों ने अपने गुरुजनों — सभी आचार्य और आचार्याओं को तिलक व पुष्प अर्पित कर कृतज्ञता व्यक्त की।
विद्यालय के प्रधानाचार्य अशोक कुमार नायक और विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य वासुदेव प्रधान ने गुरु पूर्णिमा की परंपरा, महत्व और जीवन में गुरु की भूमिका पर विस्तृत विचार रखे। उन्होंने विद्यार्थियों को गुरु-दक्षिणा के वास्तविक अर्थ — शिक्षा, अनुशासन और राष्ट्र सेवा — को आत्मसात करने का संदेश दिया।
आचार्य राखहरि कुंडू, दर्प नारायण, गौरांग राणा, मानिक मान्ना और दिती मिश्र सहित कई शिक्षकों और विद्यार्थियों ने गुरु के महत्व पर अपने विचार साझा किए। आचार्या दिती मिश्र ने कहा, “विद्यार्थी यदि डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या कोई भी श्रेष्ठ नागरिक बनकर समाज और देश के लिए कार्य करता है, तो वही गुरु के लिए सच्ची दक्षिणा होती है।”
इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा संगीत, नृत्य और कविता पाठ की मनोहारी प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिसने समारोह को जीवंत बना दिया। बच्चों के प्रदर्शन ने गुरु-शिष्य परंपरा की आत्मा को स्पर्श किया। कार्यक्रम के अंत में किशोर भारती के अध्यक्ष जयप्रकाश गिरि ने अपने उद्बोधन में सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और सभा का औपचारिक समापन किया।
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