
पटना: बिहार के मुंगेर जिले में प्रशासनिक लापरवाही की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. यहां के एक प्रखंड कार्यालय ने एक ट्रैक्टर के नाम पर बाकायदा निवास प्रमाण पत्र जारी कर दिया है. प्रमाण पत्र में “सोनालिका कुमारी” नामक आवेदक के रूप में ट्रैक्टर का नाम दर्ज है और फोटो में ट्रैक्टर की तस्वीर लगी हुई है.
इस हास्यास्पद त्रुटि ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. लोगों का कहना है कि बिना किसी दस्तावेजी सत्यापन के इस प्रकार के प्रमाण पत्रों का निर्गमन प्रशासनिक मशीनरी की लापरवाही और भ्रष्ट कार्यसंस्कृति को उजागर करता है.
वोटर ID में नीतीश कुमार की तस्वीर
इसी प्रकार की एक दूसरी घटना मधेपुरा जिले के नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत जयपालपट्टी मोहल्ले से सामने आई है. यहां एक महिला के वोटर पहचान पत्र में उनकी जगह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर छपी हुई है.
इस बात का खुलासा महिला के पति चंदन कुमार ने किया, जिन्होंने बिहार बंद के दौरान मीडिया के समक्ष वोटर कार्ड प्रस्तुत कर यह प्रश्न उठाया कि यदि आम लोगों के पहचान पत्रों में इस प्रकार की गंभीर त्रुटियाँ होंगी, तो चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर कैसे विश्वास किया जाए?
सिस्टम की साख पर सवाल
इन दोनों घटनाओं ने बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था की गुणवत्ता और निगरानी तंत्र की साख पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं. जहां एक ओर तकनीकी लापरवाही के नाम पर जवाबदेही से बचने की प्रवृत्ति है, वहीं आम जनता इस प्रकार की त्रुटियों से प्रताड़ित और भ्रमित होती है.
अब देखना यह है कि संबंधित विभाग इन मुद्दों को कितनी गंभीरता से लेते हैं या फिर इन्हें भी महज “मानव त्रुटि” कह कर टाल दिया जाएगा.
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