
बजट से पूर्व राजनीतिज्ञ, बुद्धिजीवी, व्यापारी वर्ग व आम लोगों की प्रतिक्रियाएं
जमशेदपुर डेस्क
वित्तीय वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट मोदी सरकार की केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को संसद में पेश किया जाना है. जिसकों लेकर जहां आम से खास लोगों में जिज्ञासा है. वहीं सरकार के समक्ष भी कई चुनौतियां है. एक तरफ जहां डॉलर के मुकाबले लगातार रुपया कमजोर हो रहा है. ऐसे में राजकोषिय घाटे को कम करने के साथ ही अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. वहीं लगातार बढ़ती महंगाई औऱ बेरोजगारी के साथ ही माध्यम वर्ग के कंधों पर लगातार बढ़ते टैक्स के बोझ को कम कर उन्हें.राहत पहुंचाने की मजबुरी भी है. ऐसे में रडार न्यूज 24 ने आम लोग के साथ राजनीतिक दल के नेता,शिक्षाविद्,मजदूर नेता,व्यापारी सहित पत्रकार का विचार जानने का प्रयास किया, कि केंद्रीय बजट को लेकर वो क्या सोचते है. उनके दृष्टिकोण से बजट कैसा होना चाहिए. सरकार से उनकी मांगे है. प्रस्तुत एक रिपोर्ट ………
मध्यम वर्ग को राहत की उम्मीद- सरयू राय

जमशेदपुर पश्चिम के जदयू विधायक सरयू राय ने बजट सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले बजट से पूर्व अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस बार मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दे सकती है. आयकर की सीमा में लोगों को राहत देते हुए छूट दी जा सकता है. वहीं पूंजीगत व्यय में कमी करने की उम्मीद जतायी. उन्होंने कहा कि सरकार की चिंता राजकोषीय घाटा कम करने की है. यह होनी भी चाहिए. लेकिन महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए मुद्रास्फीति पर नियंत्रण जैसे निर्णय ले सकती है.
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मुफ्त योजनाओं पर लगे रोक : मुनका

सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय आनंद मुनका का कहना है कि बोट की राजनीति के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही मुफ्त योजनाओं पर रोक लगनी चाहिए. क्योंकि टैक्स पेयर्स का पैसा देश एवं राज्य के विकास के लिए खर्च होना चाहिए ना कि राजनीतिक लाभ के लिए, मुफ्त योजनाओं के कारण आज श्रमिकों का अभाव हो गया है. देश का सर्वांगीण विकास तभी संभव होगा जब आम आदमी का क्रय शक्ति में वृद्धि होगा. सरकार को इन्कम टैक्स में छुट मिले ताकि लोग पैसे खुलकर खर्च कर सकें.
श्रमिकों के लिए बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य की व्यवस्था करे सरकार – परविंदर

टिनप्लेट वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष एवं इंटक के वरीय पदाधिकारी परविंदर सिंह सोहेल का कहना है कि जितनी तेजी महंगाई बढ़ रही है. उस दर से वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है. जिससे संगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि श्रमिक वर्ग को इन्कम टैक्स में राहत दे. वहीं असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करान के लिए बजट में व्यवस्था चाहिए. वहीं बढ़ती महंगाई को देखते हुए असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों का दैनिक मजदूरी का निर्धारण किया जाना चाहिए.
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राहत के साथ भ्रष्टाचार पर वार करे सरकार- दीपक कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता सह वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार का कहना है कि इस बार देश का जो बजट पेश होना है. उससे न सिर्फ मजदूर वर्ग बल्कि हर वर्ग को बड़ी आशा और उम्मीद है. अब देखना है मोदी सरकार लोगों के उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है. आज रुपया डॉलर के मुकाबले नीचे जा रहा है. जिससे देश का साख आर्थिक दृष्टिकोण से गिरा है. रुपया मजबूत हो जिससे दुनिया में भारत का बुलंदी बना रहे यह कोशिश होनी चाहिए. वेतनभोगी मजदूरों को आयकर में राहत मिले क्योंकि वेतनभोगी लोगों को सरकार के सिवाय कहीं से और से राहत की कोई उम्मीद नहीं बच जाता है. महंगी शिक्षा व्यवस्था लोगों के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है. वहीं बेरोजगार लोगों को फार्म भरने आदि में राहत दिया जाना चाहिए. शिक्षा में अपेक्षित सुधार एवं आर्थिक बोझ को कम करने के लिए स्नातक व बीएड डिग्री धारियों को एक वर्ष तक स्कूल , कॉलेजों में पढ़ाना अनिवार्य किया जाना चाहिए. इससे शिक्षकों की कमी दूर होने के साथ डिग्री धारियों को आर्थिक सहायता भी मिलेगा जिससे केरियर बनाने में मदद मिलेगी.
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वाहनों के रजिस्ट्रेशन से लेकर, रोड़ टैक्स, परमिट, लाइसेंस आदि में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सारी व्यवस्था को सेंट्रलाइज किया जाना चाहिए साथ ही लेनदारी ऑनलाइन किया जाना चाहिए. स्कूल, कॉलेजों को ए, बी, सी ग्रेड में बांटकर फी निर्धारण सरकार के स्तर से किया जाना चाहिए. किताब कॉपी का मूल्य और हर साल किताब बदलने की प्रक्रिया पर लगाम लगाना चाहिए. खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों की समीक्षा के साथ मूल्य तालिका की अनिवार्यता होनी चाहिए. लोगों के कमाई का बड़ा हिस्सा किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है. ऐसे में आम लोगों को राहत देने के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कठोर से कठोरतम कार्रवाई का प्रावधान किया जाना चाहिए.
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रिक्त पदों को भरे सरकार : राकेश पांडेय

झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष सह सहायक प्राध्यापक व रंगकर्मी राकेश पांडेय का कहना है कि वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश होने वाला है, बजट से सबको काफी आशा है. खासकर मध्यम वर्ग के लोग और नौजवानों का ध्यान 1 फरवरी पर है. वित्त मंत्री से उम्मीद है कि बजट रोजगार परक हो, सरकारी पदों को भरा जाए, उच्च शिक्षा में निजीकरण पर लगाम लगाया जाए, उच्च शिक्षा में शोध पर खर्च राशि बढ़ाई जाए, सरकारी संस्थानों में शिक्षक और विद्यार्थी के लिए पुरस्कार की घोषणा हो. शिक्षक छात्र अनुपात का पालन हो साथ ही महिला सुरक्षा पर विशेष जोर दिया जाए. रेलवे में वरीय नागरिकों की सुविधा का ख्याल हो, कलाकारों को कला प्रस्तुति के लिए सफर के दौरान 75% रियायत की व्यवस्था बहाल हो.मुलभूत सुविधाओं के साथ स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष जोर हो तथा इसे मामूली खर्चा पर सबके लिए उपलब्ध कराया जाए.
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