
सरायकेला: सरायकेला जिले के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत लाकड़ी पंचायत के पुरियारा और बांदू गांव के चार अत्यंत गरीब परिवार आज भी टूटी-फूटी झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं. इनमें पुरियारा गांव के माधोबी दास, खुर्शीद ग्वालिन, बाबूलाल गोप और बांदू गांव के रोहिदास महतो शामिल हैं, जिन्हें अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना और झारखंड सरकार की अबुआ आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है.
बारिश के इस मौसम में उनकी झोपड़ियों की छतें टपक रही हैं. दीवारें कभी भी गिर सकती हैं. परिवारजन प्लास्टिक की चादरें बांधकर जैसे-तैसे खुद को बचा रहे हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना: क्या सिर्फ कागज़ों में सीमित?
इस योजना के तहत ग्रामीण गरीब परिवारों को पक्का घर बनाने के लिए 1.20 लाख से 1.30 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है. इसके साथ ही लाभार्थियों को शौचालय, गैस कनेक्शन और बिजली की सुविधा भी प्रदान की जाती है. मगर उपर्युक्त परिवार अभी तक इन सुविधाओं से वंचित हैं, जबकि हर वर्ष सैकड़ों आवास आवंटित किए जाते हैं.
अबुआ आवास योजना: जिनके लिए बनी, वे ही बाहर?
झारखंड सरकार द्वारा चलाई जा रही यह महत्वाकांक्षी योजना ऐसे गरीब परिवारों के लिए है, जिन्हें किसी अन्य योजना का लाभ नहीं मिला हो. योजना के तहत दो लाख रुपये की सहायता राशि 4 से 5 किस्तों में दी जाती है. इन चारों परिवारों की स्थिति इस योजना के लिए बिल्कुल उपयुक्त है, फिर भी उनके नाम सूची में नहीं हैं.
इन परिवारों को योजना से बाहर रखे जाने से स्पष्ट होता है कि योजनाओं का क्रियान्वयन कहीं न कहीं लचर है. ग्रामीणों का आरोप है कि या तो नाम काट दिए गए हैं या आवेदन की प्रक्रिया में अनदेखी की गई है.
इसे भी पढ़ें : Dalma Shiv Mandir: श्रावण में भक्तिभाव से गूंज उठा दलमा का बूढ़ा बाबा मंदिर, शिवभक्तों का सैलाब उमड़ा