
सरायकेला: श्रावण माह की शुभ बेला में सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल स्थित दलमा पहाड़ी की गुफा में विराजमान प्राचीन बूढ़ा बाबा शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है. यह गुफा मंदिर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां बिहार, बंगाल, उड़ीसा समेत झारखंड के कोने-कोने से शिवभक्त ‘बोलबम’ के जयकारों के साथ पहुंच रहे हैं.
क्या सचमुच पूरी होती हैं बूढ़ा बाबा से मांगी गई मन्नतें?
भक्तों की आस्था है कि जो भी मनोकामना यहां सच्चे मन से मांगी जाती है, वह भोलेनाथ अवश्य पूरी करते हैं. खासकर श्रावण सोमवार को यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक करने वालों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. भक्तों के अनुसार, यह स्थान सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी परिपूर्ण है.
पर्यावरण बचाने की अपील
स्थानीय प्रशासन और वन विभाग द्वारा पर्यटकों से आग्रह किया गया है कि वे प्लास्टिक और कचरा फैलाने वाली वस्तुएं मंदिर परिसर में न लाएं. मंदिर वन्य जीवों की प्राकृतिक सीमा में स्थित है, जहां जानवरों का प्राकृतिक विचरण बना रहता है. यहां गुफा के निकट पूजा सामग्री की दुकानें भी लगती हैं, इसलिए स्वच्छता और पर्यावरण संतुलन अत्यंत आवश्यक है.
कैसे पहुंचें बूढ़ा बाबा मंदिर?
दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर दलमा वन्यजीव आश्रयणी क्षेत्र के बिहोड़ों में स्थित है. यहां पहुंचने के लिए माकुलाचेक नाका मुख्य प्रवेश द्वार है. लगभग 5 से 7 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद श्रद्धालु गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं, जहां स्वयंभू शिवलिंग प्राकृतिक गुफा में स्थित है.
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