
नई दिल्ली: शिक्षक दिवस से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि नए उम्मीदवारों के साथ-साथ सेवा में कार्यरत शिक्षक यदि प्रमोशन चाहते हैं तो उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करनी होगी।
जिन शिक्षकों की नियुक्ति 2009 में “बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act)” लागू होने से पहले हुई थी और जिनकी सेवा में अभी 5 साल से ज्यादा बचे हैं, उन्हें 2 साल का समय दिया गया है। इस अवधि में उन्हें TET पास करना अनिवार्य होगा।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से कम बचे हैं, उन्हें TET पास करने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर वे प्रमोशन चाहते हैं, तो परीक्षा देना जरूरी होगा।
फिलहाल यह अनिवार्यता अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों (धार्मिक और भाषाई दोनों) पर लागू नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक बड़ी पीठ इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं देती, इन संस्थानों को छूट जारी रहेगी।
क्यों जरूरी है TET?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए अनिवार्य हैं। इसी कारण 2011 में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने TET को नियुक्ति की शर्त बनाया था। कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत विशेष निर्देश जारी करते हुए कहा कि अब बिना TET पास किए नई नियुक्ति या प्रमोशन संभव नहीं होगा।
किन्हें देनी होगी TET परीक्षा?
नए उम्मीदवार: सभी को अनिवार्य रूप से पास करनी होगी।
सेवा में शिक्षक (5 साल से ज्यादा सेवा शेष): 2 साल में पास करनी होगी, वरना अनिवार्य सेवानिवृत्ति का खतरा।
सेवा में शिक्षक (5 साल से कम सेवा शेष): परीक्षा देने की जरूरत नहीं, लेकिन प्रमोशन के लिए जरूरी।
2009 से पहले नियुक्त शिक्षक: अगर सेवा में 5 साल से ज्यादा बचे हैं, तो 2 साल में परीक्षा पास करनी होगी।
अल्पसंख्यक स्कूल: फिलहाल छूट, अंतिम निर्णय बड़ी पीठ लेगी।
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