
जादूगोड़ा: झारखंड में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा बालू के उठाव पर रोक लगाए जाने के बावजूद भारत सरकार के अधीन यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसील) की जादूगोड़ा इकाई में बालू की सप्लाई अनवरत जारी है. यह आपूर्ति न केवल नियमों की अनदेखी कर रही है, बल्कि ओवरलोडिंग के ज़रिए राज्य सरकार को भारी राजस्व क्षति भी पहुँचा रही है.
25 टन की जगह 42 टन बालू, नियमों को किया जा रहा है दरकिनार
स्थानीय सूत्रों के अनुसार ठेकेदार द्वारा प्रतिदिन 16-चक्का हाइवा में 25 टन के स्थान पर 40 से 42 टन तक बालू की ढुलाई की जा रही है. यह बालू बिना वैध चालान के यूसील परिसर में प्रवेश करता है. एक माह पूर्व ऐसी ही एक घटना में यूसील स्टोर के एक अधिकारी ने बिना दस्तावेज़ के बालू खाली करने पर ठेकेदार को कड़ी फटकार भी लगाई थी. इसके बावजूद ऐसी घटनाएं दोबारा हो रही हैं, जिससे नियम पालन को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं.
प्रबंधन को जानकारी, फिर भी जारी है आपूर्ति
जब इस अनियमितता की सूचना यूसील के चेयरमैन-सह-प्रबंध निदेशक डॉ. संतोष कुमार सतपति को मिली तो उन्होंने तकनीकी निदेशक मनोज कुमार को मामले की जांच का निर्देश दिया था. हालांकि जांच अब भी जारी है, लेकिन इसके बावजूद कंपनी परिसर में ओवरलोड वाहनों का प्रवेश रुका नहीं है. यह दिखाता है कि कार्रवाई केवल कागज़ों तक सीमित है.
CISF की निगरानी में कैसे हो रहा नियम उल्लंघन?
भाजपा जादूगोड़ा मंडल अध्यक्ष विक्रम सिंह ने इस मामले पर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने सवाल उठाया कि कंपनी के मुख्य गेट पर CISF के जवान तैनात हैं, फिर भी बिना वैध कागज़ात के ओवरलोड वाहन परिसर में कैसे प्रवेश कर रहे हैं? उन्होंने खनन विभाग और जिला उपायुक्त से कंपनी में दाखिल चालानों और अन्य दस्तावेजों की गहन जांच की मांग की है.
सरकारी राजस्व को लग रहा चूना, जिम्मेदार कौन?
इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट हो रहा है कि बालू माफिया, ठेकेदार और शायद कुछ आंतरिक तंत्र के सहयोग से नियमों को धत्ता बता रहे हैं. एक ओर राज्य सरकार अवैध खनन पर सख्ती की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की इकाई में खुलेआम नियमों का उल्लंघन हो रहा है. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है और पर्यावरणीय नियमों का मखौल उड़ रहा है.
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