
जमशेदपुर: गोविंदपुर के जिला परिषद सदस्य डॉ. परितोष सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो गोविंदपुर जलापूर्ति योजना पूरी तरह से ठप हो सकती है।
शुरुआत से ही विवादों में रही योजना
डॉ. सिंह ने बताया कि वर्ष 2015 में प्रारंभ हुई यह योजना भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गई। एक दशक बीत जाने के बाद भी यह योजना अधूरी है। सैकड़ों बस्तियों में अब तक पानी नहीं पहुंच पाया है, जबकि योजना का उद्देश्य 21 पंचायतों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना था।
संवेदक को भुगतान नहीं, दो बार बाधित हो चुकी है आपूर्ति
इस योजना का संचालन मेसर्स जेमिनी एंटरप्राइजेस को वर्ष 2026 तक सौंपा गया है। संवेदक पिछले 27 माह से संचालन कर रहा है, लेकिन विभाग ने केवल 10 माह का भुगतान किया है। 17 माह का बकाया भुगतान नहीं होने के कारण दो बार जलापूर्ति पूरी तरह बंद हो चुकी है। इससे लाखों ग्रामीण प्रभावित हुए हैं।
विश्व बैंक ने भी हटा लिया समर्थन
यह परियोजना विश्व बैंक की सहायता से शुरू हुई थी, लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही को देखकर विश्व बैंक ने भी अपना हाथ खींच लिया। इसके बाद विभाग ने MVWSC कमिटी गठित की, जिसमें मुखिया और जल सहिया को जोड़ा गया। लेकिन यह समिति सक्रिय नहीं रह पाई, और उनकी भूमिका केवल बैठकों तक सीमित रह गई।
कनेक्शन शुल्क और जलकर वसूली में भी अनियमितता
पूर्व में जलसहिया द्वारा 450 रुपये शुल्क लेकर कनेक्शन दिए गए, परन्तु अधिकांश पंचायतों में उसका हिसाब नहीं है। कई जलसहिया काम छोड़ चुकी हैं। वर्तमान में जलकर की वसूली भी अप्रभावी और अव्यवस्थित है।
बर्बाद होता पानी, टूटी सड़कें और गंदगी
कई स्थानों पर मुख्य पाइपलाइन फटी हुई है, जिससे शुद्ध पेयजल व्यर्थ बह रहा है और सड़कें भी खराब हो रही हैं। इंटक वेल में 15 फीट तक मिट्टी जमा हो गई है, जिससे मोटर बार-बार खराब हो रही है। पिछले 5 वर्षों में एक बार भी टंकी की सफाई नहीं हुई।
डॉ. परितोष सिंह ने दिए सुधार के सुझाव
- गोविंदपुर जलापूर्ति योजना का संचालन भी जमशेदपुर की तर्ज पर JUSCO को सौंपा जाए।
- MVWSC कमिटी को प्रभावी बनाने हेतु विधायक, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और BDO को शामिल कर बैठकें आयोजित हों।
- सभी पंचायतों में समयबद्ध रूप से VWSC बैठकों का आयोजन सुनिश्चित किया जाए।
- संवेदक को भुगतान कर इंटक वेल, टंकी सफाई और पाइप मरम्मत कार्य युद्धस्तर पर कराया जाए।
- जलकर वसूली को डिजिटल किया जाए। प्रत्येक उपभोक्ता को एक कस्टमर नंबर देकर ऑनलाइन भुगतान प्रणाली शुरू की जाए।
डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि वे जल्द ही जिला उपायुक्त से मिलकर इन समस्याओं को विस्तार से रखेंगे और योजना को बचाने के लिए व्यवस्थित समाधान की मांग करेंगे।
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